Book Title: Sramana 1990 07
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 58
________________ नन्दिग्राम, नन्दिपुर, नांदिया आदि । स्थानीय किंवदन्ती के अनुसार भगवान् महावीर के ज्येष्ठ भ्राता नन्दिवर्धन ने इस तीर्थ की स्थापना की थी, इसीलिए इस तीर्थ का नाम नन्दिवर्धन पड़ा। ग्राम के बाहर भगवान् महावीर का एक प्राचीन जिनालय विद्यमान है। इस जिनालय में कुल ७७ जिनप्रतिमायें हैं । २ मंदिर के स्तम्भों पर कई लेख भी हैं, जो वि०सं. ११३० से वि०सं० १५२९ तक के हैं। इनका विवरण इस प्रकार है१-संवत् ११३० बैशाख सुदि १३ नंदियक चैत्यहा(ह)र वापी निर्मापिता सिवगणे[ न ] । प्रतिष्ठास्थान-महावीर जिनालय-पाषाण की चौकी पर उत्कीर्ण लेख मुनि जयन्तविजय-अर्बुदाचलप्रदक्षिणाजैनलेखसंवोह, लेखाङ्क ४५२ २--संवत् १२०१ भाद्रवा सुदि १० सोम दिने । नीबा भेपाभ्यां वुहुं सीतिणि था थांभ ।।२।। प्रतिष्ठास्थान-महावीरजिनालय-सभामंडप के बांई ओर स्तम्भ पर उत्कीर्ण लेख मुनि जयन्तविजय-वही, लेखाङ्क ४५३ ३-संवत १२५३... ... ... .. कल २ देवि ..... .. .. ' मालणश्रेयोर्थं .. ... कारापि ... ' · । प्रतिष्ठास्थान-महावीर जिनालय ---अंबिकादेवी की मूर्ति पर उत्कीर्ण लेख मुनि जयन्तविजय -- वही, लेखाङ्क ४५५ ४-संवत् १२९० वर्षे पोस सुदि ३ रा [ ० ) उडडस्( सु)त सहि सुत रा० कम(र्ण )णश्रेयोर्थं पुत्र सीमेण स्तंभो (स्तंभः) कारितः । प्रतिष्ठास्थान-महावीर जिनालय-शृंगारचौकी के दरवाजे के दायीं ओर स्तम्भ पर उत्कीर्ण लेख मुनि जयन्तविजय-पूर्वोक्त, लेखाङ्क ४५६ १. तीर्थदर्शन, पृ० २६० । २. शाह, अम्बालाल पी०-जैनतीर्थसर्वसंग्रह पृ० ४३३-३४ । Jain Education International For Private & Personal Use Only Fort www.jainelibrary.org

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