Book Title: Sramana 1990 07
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 74
________________ ( ७४ ) विद्यमान है। राजस्थान प्रान्त के वर्तमान जोधपुर जिले में सोजतरोड रेलवे स्टेशन से ७ मील दूर यह तीर्थ स्थित है।' ११. सत्यपुर तीर्थ सत्यपुर ( वर्तमान सांचोर ) जैनों का एक प्रसिद्ध तीर्थं है। जिनप्रभसूरि ने कल्पप्रदीप के अन्तर्गत इस तीर्थ पर एक स्वतन्त्र कल्प लिखा है, जिसकी प्रमुख बातें इस प्रकार हैं "नाहड़ राय नामक एक राजपूत्र ने जज्जिगसरि नामक एक जैनाचार्य की प्रेरणा से सत्यपुर नगरी में जिन महावीर की पीतल की प्रतिमा एवं जिनालय का निर्माण कराया । वीरनिर्वाण सम्वत् ६०० के लगभग उक्त जैनाचार्य ने उस प्रतिमा को नवनिर्मित चैत्य में स्थापित किया। वि०सं० ८४५ में गजनीपति हम्मीर ने वलभी नगरी के एक श्रेष्ठी रांका के आमन्त्रण पर वलभी नरेश शीलादित्य पर आक्रमण किया और उसे पराजित कर मार डाला एवं उसकी नगरी का भंग किया। वि०सं० १०८१ में गजनीपति गुजरात को लूटते हुए सत्यपुर पहुँचा और यहाँ स्थित महावीर चैत्यालय को नष्ट करने का प्रयास किया, जो विफल रहा। मालवनरेश गुजरात पर आक्रमणार्थ सत्यपुर की सीमा तक आ पहुँचे, परन्तु ब्रह्मशान्ति के प्रभाव से भयाक्रान्त हो वे वापस लौट गये। वि०सं० १३४८ में देश पर मुगलों का भीषण आक्रमण हुआ। वे एक के बाद दूसरे प्रदेश को लूटते हुए सत्यपुर की सीमा तक आगये, परन्तु इसी समय उन्हें बघेलानरेश सारंगदेव के आगमन की बात ज्ञात हुई और वे वापस लौट गये। वि०सं० १३५६ में अलाउद्दीन खिलजी के छोटे भाई उलगूखान ने चित्रकूट और गुजरात पर आक्रमण किया। चित्रकूट के नरेश समरसिंह ने कर देकर मेवाड़ की रक्षा की। इसके बाद वह पश्चिम की ओर बढ़ा और मेहसाणा, बागड़ आदि देशों को लूटता हुआ आशापल्ली तक गया। राजा कर्णदेव ने भाग कर अपनी जान बचायी। इसके पश्चात् उसने वामनस्थली जाकर माण्डलिक राजा को दंडित किया। सोमनाथ के मंदिर को नष्ट कर उसके अनेक अवशेषों को दिल्ली भेज दिया। इस प्रकार सौराष्ट्र को १. शाह-अम्बालाल, पूर्वोक्त, पृ० ३७९-३८२ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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