Book Title: Sramana 1990 07
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 53
________________ चाहमान राजा चेल्लणदेव का पुत्र था, द्वारा शासित होता रहा ।' प्रतिहार और चाहमान युग में उपकेशपुर ब्राह्मणीय और जैन धर्म के प्रसिद्ध केन्द्र के रूप में प्रतिष्ठित रहा। मध्य युग में भी इसकी महत्ता विद्यमान रही। आज यहाँ १६ ब्राह्मणीय और जैन मंदिर विद्यमान हैं जो कला की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। यहाँ स्थित जैन मन्दिरों में महावीर स्वामी का मन्दिर सर्वोत्कृष्ट है। इस जिनालय से प्राप्त अभिलेखों से ज्ञात होता है कि वत्सराज के समय इसका निर्माण कराया गया और १०वीं-११वीं शती में इसका पुननिर्माण हुआ। इस जिनालय के निर्माण में महा-मारु शैली का प्रयोग हुआ है। __इस जिनालय में वि०सं० १०१३ से वि०सं० १७५८ तक के लेख हैं जो जिनालय के स्तम्भ, तोरण तथा प्रतिमाओं पर उत्कीर्ण हैं । इनकी संक्षिप्त सूची इस प्रकार है१-वि० सं० १०१३ फाल्गुन सुदि ३ जिनालय की प्रशस्ति २-वि० सं० १०३५ आषाढ़ सुदि १० जिनालय के तोरण पर ३-वि० सं० १२३१ मार्ग सुदि ५ स्तम्भ पर ४-वि० सं० १२५९ कात्तिक सुदि १२ २४ माता के पट्ट पर १. सं० १२३६ कातिक सुदि १ बुधवारे अद्येह श्रीकल्हणदेव महाराज राज्ये तत्पुत्र श्री कुमर सिंहे सिंह विक्रमे श्री माण्डव्य पुराधिपती.... दभिकान्वीय कीर्तिपाल राज्य वाहके तद्भक्तौ श्रीउपकेशीय श्रीसच्चिकादेवि देवगृहे श्रीराजसेवक गुहिलं........। सचियामाता का मंदिर (ओसिया) पर उत्कीर्ण लेख-नाहर, पूर्वोक्त, भाग १, लेखाङ्क ८०४ 2. Dhaky, M. A. "Jaina Temples of Western India," Mahaveer Jaina Vidyalaya Golden Jubilee Volume. Part I, p. 236. ३. नाहर, पूर्वोक्त, लेखाङ्क ७८८-८०२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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