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उक्त प्रशस्तियों के आधार पर धर्मघोषगच्छीय आचार्यों को जो गुर्वावली निर्मित होती है, वह इस प्रकार हैतालिका संख्या--१
शीलभद्रसूरि
वादीन्द्र धर्मघोषसूरि (आगमिकवस्तुविचारसार
प्रकरण एवं गद्यगोदावरी के कर्ता) यशोभद्रसूरि
देवप्रभसूरि
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(धर्मघोषसूरिस्तुति रविप्रभसूरि देवसेनसूरि
प्रद्युम्नसूरि के रचनाकार)
(विचारसारविवरण
के कर्ता) (प्रवचनसारोद्धार उदयप्रभसूरि पृथ्वीचन्द्रसूरि की विषमपदव्याख्या
(कल्पसूत्र टिप्पनक के रचनाकार)
प्रो० एम० ए० ढाकी' ने तारङ्गाके वि•सं० १३०४-१३०५; करेड़ा के वि०सं०१३३९; शत्रुञ्जय के १. ढाकी, एम० ए०, लक्ष्मण भोजक-शत्रुञ्जयगिरिना केटलाक अप्रकट लेखो-सम्बोधि, जिल्द VII पृ० १३.२५ २. वही ३. नाहर, पूरनचन्द-जैन.लेख संग्रह, भाग-२, लेखाङ्क १९५२ ४. ठाकी और भोजक-पूर्वोक्त पृ० १३-२५
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