Book Title: Sramana 1990 01
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 53
________________ ज्ञानचन्द्रसूरि वि० सं १३७८.९४ सोमचन्द्रसूरि Jain Education International मुनिशेखरसूरि सागरचन्द्रसूरि देवचन्द्रसूरि मलयचन्द्रसूरि वि० सं०१४५९-६५ (वि० सं० १३९६) वि० सं० १४२६-६३] वि० सं० १४२२ । [४ प्रतिमा लेख] के मध्य ८ प्रतिमालेख पद्मशेखरसूरि - विजयचन्द्रसूरि महीतिलकसूरि मुख्य पट्टधर शिष्य पट्टधर शिष्य पट्टधर वि० सं० १४७४-१४९२ । वि० सं० | वि० सं० १४८३[१९ प्रतिमा लेख] १४८३-१५०४ १५१९ . [१८ प्रतिमा लेख] [१२ प्रतिमा लेख For Private & Personal Use Only ( ५३ ) पद्मानन्दसरि साधुरत्नसूरि विजयप्रभसूरि वि० सं० १५०५-१५३७ वि० सं० १५०८-१५३२ [३१ प्रतिमा लेख] [२३ प्रतिमा लेख] गुणसुन्दरसूरि वि० सं० १५३२ [१ प्रतिमा लेख नंदिवर्धनसरि | वि० सं० १५५५-१५७७ । [१० प्रतिमा लेख] www.jainelibrary.org पाठकगुणरत्न पुण्यराजसूरि

Loading...

Page Navigation
1 ... 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122