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है। इसका कथानक जगद्व्यापी होने के कारण बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। इसके कथानक संस्कृत, प्राकृत और गुजराती तीनों ही भाषाओं में भित्र-भित्र लेखों हारा भिन्न-भिन्न समय में लिखित मिलते हैं। इसमें कथाएं दृष्टान्त रूप में दी गयी हैं। यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी । ऐसी अपेक्षा के साथ हम सम्पादक महोदय का अभिवादन करते हैं।
"प्रशमरति' : अनुवादक-महेश भोगीलाल, प्रकाशक :-श्रीमती नीता एम भोगीलाल, श्रीमती विमलबेन एस० लालभाई, श्रीमती द्रीनीबेन एन, शोधन, एलिस ब्रीज, अहमदाबाद ३८०००६,
प्रस्तुत पुस्तक तीन प्रकार के तप का निरूपण करती है । किसी कारणवश तप से पूर्ण सफलता न मिले तो उससे विश्वास नहीं हटा -लेना चाहिए, क्योंकि तप करते रहने से कुछ तो सिद्धि होती ही है। यह पुस्तक कर्म सिद्धान्त का भी संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करती है । पाठकों को यह लाभप्रद होगी, ऐसा विश्वास है। .
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