Book Title: Sramana 1990 01
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 52
________________ ( ५२ ) ४-मलयचन्द्रसूरि के पट्टधर पद्मशेखरसूरि पद्मशेखरसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित १९ प्रतिमायें आज उपलब्ध हैं जो । वि० सं० १४७४-१४९२ तक की हैं। ५-मलयचन्द्रसूरि के शिष्य विजयचन्द्रसूरि विजयचन्द्रसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित १ प्रतिमा उपलब्ध है जो वि० सं० १४८३ की है। ६-मलयचन्द्र के शिष्य महीतिलकसूरि महीतिलकसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित १२ प्रतिमायें उपलब्ध हुई हैं। इनकी कालावधि वि० सं० १४८३ से वि० सं० १५१९ है । ७-पद्मशेखरसूरि के पट्टधर विजयचन्द्रसूरि पद्मशेखरसूरि के पट्टधर विजयचन्द्रसूरि द्वारा वि०सं० १४८३ से वि० सं० १५०४ के मध्य प्रतिष्ठापित १७ प्रतिमायें आज उपलब्ध हैं । ___-महीतिलकसूरि के पट्टधर विजयप्रभसूरि विजयप्रभसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित २ प्रतिमायें उपलब्ध हैं जिनपर वि० सं० १५०१ का लेख उत्कीर्ण है । ___-विजयचन्द्रसूरि के पट्टधर पद्माणंदसूरि पद्माणंदसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित ३१ प्रतिमायें आज उपलब्ध हैं जो वि०सं० १५०५ से वि० सं० १५३७ के मध्य की हैं। १०--विजयचन्द्रसूरि के शिष्य साधुरत्नसूरि साधुरत्नसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित २३ प्रतिमायें अद्यावधि उपलब्ध हैं जो वि० सं० १५०८ से १५३२ तक की हैं। ११-पद्माणदसूरि के पट्टधर गुणसुन्दरसूरि गुणसुन्दरसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित केवल १ प्रतिमा मिली है । यह प्रतिमा भगवान् कुन्थुनाथ की है। प्रतिमा पर वि० सं० १५२३ का लेख उत्कीर्ण है। १२- पद्माणंदसूरि के (द्वितीय) पट्टधर नंदिवर्धनसूरि नंदिवर्धनसूरि द्वारा प्रतिष्ठापित १० प्रतिमायें मिली हैं जो वि० सं० १५५५ से वि० सं० १५७७ तक की हैं। इन प्रतिमालेखों के आधार पर धर्मघोषगच्छ के आचार्यों की जो तालिका निर्मित होती है, वह इस प्रकार है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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