Book Title: Siddhant Sar
Author(s): Gambhirmal Hemraj Mehta
Publisher: Gambhirmal Hemraj Mehta
View full book text
________________
(४४७ )
निग्गंथस्य प्रदेपायंसि खाणुवा कंटएवा दिरएवा सकरेवा परियावजा तंच निग्गंथे नोसंचाएइ निदरित - एवा विसोदित्तएवा तंच निग्गंथी निदरमाणीवा विसोदेमाणीवा पाइकमs. निग्गंथस्स चिंसि पाऐवा बीएवा रएवा परियावोका तंच निग्गंथे नोसंचाएइ निहरितएवा विसोहित्तएवा तं निग्गंथी निदरमाणीवा विसोहीमा - एवा पाइकमइ. निग्गंथीए प्रदेपायंसि खाणुवा कंटएवा बाहिरेवा सकरेवा परियावजेजा तंच निग्गंथी नोसंचाएइ निहरितएवा विसोहित्तएवा तंच निग्गंथे निदरमावा विसोदेमाणेवा पाइकम्मइ. निग्गंथीए अहिंस पाणेवा बिएवा रएवा परियावजेजा तंच निग्गंथी नोसंचाएइ निदरितएवा विसोदित्तएवा तंच निग्गंथे निदरमाणेवा वीसोहेमाणेवा पाइकम्मइ. निग्गंथे निग्गंथी दुगंसिवा विसमंसिवा पवयंसिवा पखलमाांवा पवममाणंवा गिन्हमाणेवा अवलंबमाणेवा पाइक्कम्मइ. निग्गंथे निग्गंथी सेयंसिवा पंकंसिवा पणगंसिवा उदगंसिवा उकसमा - गांवा नवुऊमाणेवा गिन्हमाणेवा अवलंबमाणेवा पाइकम्मइ. निग्गंथे निग्गंथी नावं आरोहमाणंवा नरोढमाणंवा गिन्द्रमाणेवा अवलंबमाणेवा पाइकम्मइ. खित्तचित्त निग्गंथी निग्गंथे गिन्दमाणेवा अवलंबमाणेवा पाइकम्मइ ॥ अर्थः- पूर्ववत् जुर्ज प्रश्न बीजे पाने २२४ में.
:
सिद्धान्तसार.
जावार्थ:- दवे जुन ! या पाठमां कथं के, साधुना पगमां खीलो, कांटो, प्रमुख नांग्यो होय तथा श्रांखमां प्राणी, बीज, रज प्रमुख पढयां होय अने पोते काढवा समर्थ न होय त्यारे साधवी काडे

Page Navigation
1 ... 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534