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+ सिदान्तसार
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विना बेसवु नवु कल्पे नही. एक तो ( समोसर्णमां) व्याख्यानमा श्रावq कडं, ते प्रखदामा चार हाथ पनानी पडेमी प्रमुख उढीने, सर्व हाथ पग प्रमुख अंग उपांग ढांकीने बेस कह्यु, श्रने एक पोतानी पासे जणाववावाली गीतार्थ आर्या न होय तो साधुजी पासे वांचणी लेवा सारु श्रावq कल्पे कयु: ए बे झानना प्रयोगने अर्थे श्रार्याने साधुना उपाश्रये श्रावq कडं . ए ज्ञानादिकना प्रयोग विना साधु रहेता होय ते जग्यामां आर्याने श्रावीने उठे रहे, बेसबु, सुई के थाहारादिक कां पण काम करवं कल्पे नहीं; अने साधुने साधवी रहेतो होय ते जग्यामां उतुं रहे, बेसवु, सुर्बु तथा चार थाहार करवा कल्पे नही; तेम कांश पण काम करवू कस्पे नही. शाख सूत्र वृहत्कल्पना त्रीजा उद्देशामां. ते पाठःनोकप्पक्ष निगंथाणं निग्गंधीणं अवस्सयंसि चित्तिएवा निसित्तएवा निदाइत्तएवा तुयहित्तएवा पयलाश्तएवा असणंवा ४ आहारं आहारित्तए उचारंवा ७ पासवणंवा खेखवा सिघाणंवा परिहवित्तए सघायंवा करित्तए जाणंवा जाश्त्तए कासगंवा हाणंवा हाश्त्तए. नोकप्पश् निग्गंथीणं निग्गंथाणं अवस्सयंसि चिहित्तएवा निसिश्त्तएवा तुयटित्तएवा निदाश्त्तएवा पयलाश्त्तएवा असणंवा
आदारमादरित्तएवा उचारंवा ४ परिछवित्तए सद्यायंवा करित्तए कासगंवा गणंवा गश्त्तए.॥
अर्थः-नो न कल्पे नि साधुने नि साधवीना ना नपाश्रयने विषे चि० सेहेजे उठे रहेQ १ नि बेस २ तु सुदुं ३ नि निंदा सेवी ४ प० विशेष निडा लेवी ५ अ असनादि चार थाहार करवा : ६, नु वमीनीत पा लघुनीत ७ खे० बलखो ए अन सि० नासिकानो मेल १० प० परग्ववां, सण सकाय करवी ११ जाए ध्यान ध्यावयूँ