Book Title: Siddhant Sar
Author(s): Gambhirmal Hemraj Mehta
Publisher: Gambhirmal Hemraj Mehta

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Page 517
________________ +सिदान्तसार.. ( १९७) जेम कपमाने रंग तेम जीवने शरीर, वेद, रागरुप ने तेथी सरुपीसकर्मी कह्यो .” तेनो नत्तर. हे देवानुप्रीय ! कपमाने कसुंबल रंग होय तेने कसुंबल कपड़ें कहीए अने पोलो रंग होय तेने पाबु कपहुं कहीए. जेवो कपमाने रंग होय तेवं कपहुं कहीए. तेम कर्म सहित जीवने रुपी कहीए. वली तमे (तेरापंथी) कहो बो के " जीवने सरुपा कह्यो डे पण जीवने रुपी नथी कह्यो.” त्यारे एम तो जीवने "ज्ञान सहित" सनाणी कह्यो बे. शाख सूत्र नगवती शतक थामें उद्देशे बोजे तथा ३० मे तथा अनेक सूत्र-पाठमां. हवे तमारी केहेणीने लेखे तो जीवने सनाणो कह्यो तेने ज्ञान सहित कहीए; पण ज्ञान न कहीए. . - हे देवानुप्रीय ! एम केम कहो ो के, सरुपो कह्यो तेने रुप सहित कहीए पण सरुपो न कहोए ? ज्ञान सहित कहो श्रने नावे झानी कहो. रुप सहित कहो अने जावे रुपी कहो. वली अनुयोगद्वार सूत्र मां नाव संजोगमां कडंबे के, ज्ञान सहित होय तेने ज्ञानी कहीए, समकित सहितने दर्शनी कहीए, चारित्र सहितने चारित्री कहीए; अने क्रोध, मान, माया थने लोन सहित ने क्रोधी,मानी, मायी अने लोनी कहीए. जेम रुप सहित होय तेने रुपी कहीए, अने वर्णादिक पुद्गल सहित जीवने रुपो कहीये. तेम जीव सहित पुद्गलने जीव कहीये. ए न्याये पुन्य, पाप अने बंधने जीव कहीए. इत्यादिक अनेक सूत्रनी शाखे करी व्यवहार.नयमां पुन्य, पाप अने बंधने उध-पाणीना उष्टीन्ते जीव कहीए. जेम शेर उधमा पासेर पाणी नांखे तेने व्यवहारमा सवा शेर जुध कहीए. तेम पुद्गल जीवने लोलीनुत थया तेने व्यवहारमा जीवज कहीये. ए न्याये पुन्य, पाप अने बंधने जीव कहीए. ...इथे पुन्य, पाप अने बंधने अजीव कया न्याये कहोए:-पुन्य ते शुभ कर्म , पाप ते अशुन्न कर्म बे, अने बंध ते शुनाशुन कर्म प्रकृत्तिनो ले. ते कर्म रुपी पुद्गल बे. ते रुपी पुद्गलन नश्चेनयमां मीचे खोमया पठी, हंसनी चांचथी उध पाणी न्यारां थाय ते दृष्टान्ते

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