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+ सिद्धान्तसार..
(५११)
कहीये. (१) वली मोहने अजीव कया न्याये कहीए:-मोदनो कर्त्ता जीव , क्रिया जीवनी पर्याय ने अने कर्म ते कर्म कय थयां ते अजीव जे. ए न्याये मोदने अजीव कहोये. (५) . हवे समचय नव तत्वमां जीव केटला श्रने अजीव केटला ? निश्चेनयमां तो एक जीव ते जीव अने श्राप अजीव; अने व्यवहार नयमां श्राप तो जीव श्रने एक अजीव ते अजीव. जेम व्यवहारनय. मां जमरो कालो, अने निश्चेनयमां पांचे वर्ण पावे (होय). व्यवहारनयमां गोल मीनगे, श्रने निश्चेनयमां पांचे रस पामे. व्यवहारनयमां केतकीनी सुगंध अने निश्चेनयमां बने गंध पामे. व्यवहारनयमां पत्थर खरखरो, श्रने निश्चेनयमां आवे फर्स पामे. व्यवहारनयमां चुमी गोल अने निश्चेनयमां पांचे संगण होय. शाख सूत्र नगवती शतक १८ मे उद्देशे बहे. ए न्याये सात तत्वने व्यवहारनयमां जीव कहोये, अने निश्चे नयमां अजीव कहोये. वली गणायांग सूत्रने बीजे गणे बे समोयार कह्या ले. जीव समोयार १, अने यजीव समोयार २. व्यवहारनय पाश्री पुन्य, पाप, थाश्रव, संवर, निर्जरा, बंध अने मोक्ष, ए सात तत्वने जीव समोयारमा कह्या बे; अने एज सात तत्वने निश्चेनय श्राश्री अजीव समोयारमा कह्या बे. ए न्याये सात तत्वने व्यवहारमा जीव कहीये, श्रने निश्चेमां अजीव कहीये. • वली व्यवहार-निश्चे एक समचयमा एक जीव ते जीव, अने एक अजीव ते अजीव; बाकी सात जीव श्रजीवनी पर्याय बे. शाख सूत्र जगवती शतक १३ मे उद्देशे चोथे, एम कडं ने के, मन, वचन, काया प्रमुख सर्व पदार्थने चालवानो साहाज धर्मास्तिकाय आपे , अने स्थिर रेहेताने श्रधर्मास्तिकाय साहाज आपे ले विकाश गुण जीव पुद्गलने नाजन आकाशास्तिकायतुं . काख ते पुद्गलादिक एकग रेहेवानी स्थिति जीवनो उपयोग; अने पुद्गलास्तिकाय पुद्गल मले ने विखरे एम कयुं . ए न्याये पुन्य, पाप, आश्रव अने बंध शुनाशुन पुद्गल मन आदिक जोग जीवना अशुद्ध उपयोगथी ग्रह्या स्थिरपणे