Book Title: Siddhant Sar
Author(s): Gambhirmal Hemraj Mehta
Publisher: Gambhirmal Hemraj Mehta

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Page 533
________________ सिद्धान्तसार.. (५१३ ) वृक्ष ले अने एक लीममो . हवे जे वृतनी बाया ते वृदना गुणमां बे, पण बायारुप को त्रीजु वृक्ष नथी. वृक्ष ते तो उव्य अने गुण ते बाया. वली जेम पत्र फुलादिक सहित एकज वृत , तेम गुण पर्याय लीधे एकज जीवजव्य जे.जेमजीव अव्य तेतो वस्त्र, अने तेनो गुण ते स्वेतादिकवर्ण, अने पर्याय ते दोरा, अने रागादिक चिगट ते मल ग्रहण रुप आश्रव, अने पुन्य पाप ते रज, निधत ते बंध, साबु पाणी ते संवर, अने शुद्ध दशा नज्वलता ते आत्मेयजाव; ए सर्व गुण पर्याय ते वस्त्रने डे, पण पूर्वोक्त गुण पर्याय वस्त्र नथी. तेम ए सात तत्व जीवने बे, पण ए एकला जीव नथी. वली तेरापंथी कहे के, “जीव अजीवनी राश वे बे, पण पर्जवा क्या कह्या ?” तेनो उत्तर. हे देवानुप्रीय ! निश्चेनयमां राश बे ने तेम तत्व पण बेज . जीव अने अजीव. हवे व्यवहार-नय तो जीव अने अजीव बनेना व्यापारने कहीये, अने निश्चेनय जीव अजीवनो संयोग विखरी न्यारो थाय तेने कहीए. एक जीव अने आठ अजीव एकान्त माने ते निश्चेनयवादी. ते एकान्त-नयवाद। प्रथम गुणगणा वर्ति जाणवो. वली आठ जीव अने एक अजीव एकान्त माने ते व्यवहारनय वादी. ए एकान्त-नयवादी प्रथम गुणगणावर्ति जाणवो. वर्तमान व्यवहारनय नेला माने, अने वर्तमान ते निश्चय आश्री न्यारा माने, इत्यादिक यथायुक्त नय निपा सहित वचन कहे तेनां वचन प्रमाण डे; पपा नय विना वचन अप्रमाण जे. तेनी शाख सूत्र अनुयोगद्वार. __ हवे अहियां नव तत्व उपर अनेक नय संदेपथी उतारी देखामी जे. उतां विस्तारथी जाणवानी श्छा होय तेमणे स्वामीजी माहाराज श्री १००८ श्री त्रीकमदासजी माहाराज कृत 'तत्व-शोधक' ग्रंथथी जाणी लेवु. जदपि एटबुं न धारी शके तो एम चिंतवq के “तमेवसचं निसंकंजं जिणेहिं पवेश्यं एवं मणे छारेमाणा, जाव आणाए श्राराहगा जवर.” एज श्रथागमे अरिहंतदेवना परुपवाथो. एज सुतागमे ते गणधरोना गुंगवाश्री. एज अणत्तरागमे ते श्री सुधर्मास्वामी श्री जंबु

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