Book Title: Siddhant Sar
Author(s): Gambhirmal Hemraj Mehta
Publisher: Gambhirmal Hemraj Mehta

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Page 516
________________ (१९६) + सिद्धान्तसार.. 3 बत्र, दम, वस्त्र अने घट अचित्त ने ते नण उत्री, दंमी, पमो अने घटो ए श्रचित्त संजोगे नाम कह्यां. इल, गामी अने रथ अचित्त ले तथा बलध सचित्त डे ते नणी हाली, सागमी, रथिक . अने नाविक, ए मिश्र संजोगे नाम निपन्यां कह्यां. ए जु ! गाय, मेंस, बलध प्रमुखना शरीरने अने जीवने नेलाज सचित्त कह्या. ए गाय, नेंस, बलध प्रमुखना शरीर, कर्म, पुन्य, पाप अने बंधनी प्रक्रति ने अने ते पुद्गल , पण जीवे गह्या अने जीव सहित ३ ते जणी स. चित्त कह्या. सचित्त ते जीव जे ते नणी पुन्य, पाप अने बंधने जीव कहीए. वली जीव ग्रह्या जीव सहित पुजलने जीव-पर्यवा कह्या . नारकी, देवता, मनुष्य अने तिर्यंच ए चार गतिने, प्रदेशने, अवगाहना पुद्गलथी निपनी तेने, स्थितिने, पांच वर्णने, पांच रसने, बे गं. धने, श्राव स्पर्शने, बार उपयोगने, पांच ज्ञान अने त्रण अज्ञानने अने चार दर्शनने, ए बत्रीस बोलने जीवपर्यवा कह्या ले. शाख सूत्र पन्नवणा पद पांचमें. ए जुर्छ ! अवगाहनापणे पुद्गल प्रणम्या तेने तथा वर्ण, रस, गंध, स्पर्श, पुन्य पाप अने बंधपणे प्रणम्या पुद्गद जीवे गह्या जीवने पोगसापणे लोलीजुत रह्या तेने जीवपर्यवा कह्या बे; अने जोव बोड्या पड़ी मिसापणे प्रणम्या वर्ण, रस, गंध आने स्पर्शने तथा वीसा पुद्गलने अजीवपर्यवा कह्या जे. ए जीव ग्रह्या पुद्गलने जोवपर्यवा कह्या. ए न्याये पुन्य, पाप अने बंधने जोव कहीए. वली क्रोध, मान, माया, लोन, राग, द्वेष अने आठ कर्मने जीव समोयार कह्या . शाख सूत्र श्रनुजोगहारमां. ए न्याये पुन्य पाप अने बंधने जोव कहीए. तेवारे तेरापंथी कहे जे के “ पुन्य, पाप अने बंध तो शुजाशुन कर्म डे ते रुपी पुद्गल , अने जीव तो अरुपी जे. ते पुन्य पाप अने बंध रुपी ले तेने जीव शीरोते कहो बो ?” तेनो उत्तर. हे देवानुप्रीय! जीवने पण सरुपी कह्यो . सकर्मी, सरागी, सवेदी, सलेशी अने सस. रीरी कह्यो बे. शाख सूत्र नगवती शतक १७ में नद्देशे बीजे. तेवारे तेरापंथी कहे डे के “ जीवने रुप सहित कह्यो , पण जीव रुपी नयी.

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