Book Title: Siddhant Sar
Author(s): Gambhirmal Hemraj Mehta
Publisher: Gambhirmal Hemraj Mehta

View full book text
Previous | Next

Page 499
________________ 4 सिद्धान्तसार. ( ४७९ ) हर्षे . वली जगवती सूत्रना १९ मा शतकमां प्रजुए साधुने वर्ज्या के, गोशाला साधे को बोलशो नही. एवामां वे साधु धर्माचार्यनी जक्तिaावना प्रेर्याथका बोल्या. दवे ए साधुने श्राज्ञा विराधी तेनो दोष लाग्यो के क्तिनावे उपदेश दीधो तथा नक्तिरागे बोल्या तेथे गुण थयो ? हवे ए बोल्या ते करणी उदयजावनी ते, पण ते साधिक बे के बाधिक बे ते जुन. वारे तेरापंथी कड़े बे के " सूत्र उत्तराध्ययनना दसमा अध्ययनमां' एवं नवइ संसारे संसरइ सुहा सुहेहिं कम्मोहिं ' एम कपुं. एटले जीव जम्यो ते शुभाशुभ कर्मे करीने जम्यो. ए जुर्छ ! पुन्य पाप बेटी रुलतो को . त्यारे पुन्य मुक्तिनो साधक कयांथो ?” तेनो उत्तर. हे देवानुप्रीय ! एम शाने जुलो बो ? एमां तो प्रजुए खरुं कं बे, जे जीव संसारमां रुले बे ते शुभाशुभ कर्मथ रुले डे. ए केहेवान परमार्थ एवो बेके, शुभाशुजनो जोको बे. ते शुभाशुभ समय मात्र तुटतो नथी, सवृत्ति के ते माटे शुभाशुभ जेला कह्या; पण शुजभी धर्म नजीक बे ने अशुभथी धर्म नजीक नथी. जो अशुज कर्मनी उत्कृष्ट स्थिति बांधे तो जोव मुलथी धर्म न पामे, अने शुभकर्मनी उत्कृष्टी स्थिति वांधे तो जीव धर्म सुखे पामे, एम सुत्रमां ठाम ठाम क े. वली सूयगकांग सूत्रना बीजा श्रुतस्कंधना बीजा अध्ययनमा तेर क्रिया कही. तेमां तेरमी क्रिया इरियावहि शातावेदनी पुन्य प्रकतिनी. ते इरियावद्दि कियाने अधर्म पक्षमां कही; सावध कही; पण एम कनुं के, ए इरियावहि क्रियामां वरतीने सेवीने गया काले अनंता मुक्ति गया, वर्तमानकाले महाविदेद क्षेत्र प्रमुखमां संख्याता जाय वे ने खागमीए काले अनंता मुक्ति जाशे. ए जुई ! इरियावहि क्रिया पुन्य प्रक्रति बे ते सेवीने मुक्तिमां जावं कयुं. ए इरियावद क्रिया लाग्या पठी जीव निश्चे मोगामि यर चुक्यो. ए जुङ ! एकबुं पुन्य इरियाचहि क्रियामांज वे. ते श्राव्यापी अने बांध्या पक्षी (नचे मोक जापुंज कथं यने शुजाशुथी रुक्षवुं कयुं. ते सहचारी

Loading...

Page Navigation
1 ... 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534