Book Title: Siddhant Sar
Author(s): Gambhirmal Hemraj Mehta
Publisher: Gambhirmal Hemraj Mehta
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(४७८)
+ सिद्धान्तसार..
जावार्थः-हवे जुलं ! ए पाठमां एम कडं के, जे मनुष्य मरीने मनुष्य थाय तेणे मुलगी पुंजी राखी; नर्क तिर्यंचमां जाय तेथे मुलगी पुंजी खोइ कर्मनुं देवावँ काढयु; श्रने देवतामां जाय तेणे लान्न उपाज्यो. ए जुन ! देवगति नदयनावमां बे. ते मली त्यारे वीतरागे तेने लानना पक्षमा गएयो. ए नदयन्नाव पण उर्धक्षेत्र श्राश्रीने शुरू कह्यो. वली हरकेशी मुनीने ब्राह्मणोए कह्यु के, हे मुनी ! तादारुं शरीर सर्व पुजनिक जे. शाख सूत्र नत्तराध्ययन अध्ययन बारमे ते पाठ. गाथा ३३,३४.
अखंच धम्मंच वियाणमाणा, तुब्ने नविकुप्पद नूश्पन्ना; तुब्नंतु पावे सरणं उवेमो, समागया सव जणण अम्हे ॥ अच्चेमुत्ते मदानागा, नत्ते किंचि न अच्चिमो; मुंजाहि सालिमं कुरं, नाणा वंजण संजुयं ॥
अर्थः-हवे विप्रो बोल्या-अ० शास्त्रना अर्थ अने धम् यतिना धर्मने वि० विशेष जाणताथका तु० तमे न न कोपो. नूप जीवदयानो तमारी प्रतिज्ञा . तु तमारा पा० पगर्नु स० सरण न करवाने स० सर्व एका मल्या बीए जण परिवार सहित श्र० अमे. अपुजवा योग्य तमाहं सर्व अंग म हे माहानुनाग ! न० नथी ताहारं किं कां पण न० अणपुजनिक पगनो रज आदि. मुं० नोगवो सा सालीमय कुरण कुर ना अनेक विधनां वंग (व्यंजन) साख सं० सहित. ॥३४॥
नावार्थ:-हवे जुन ! नपरना पाठमां ब्राह्मणोए हरिकेशी मुनी. राजने कह्यु के, हे माहा नाग्यवंत पुन्यवंत माहामुनि! तमारुं शरीर सर्व अर्चनिक डे, लगार मात्र अणधर्च निक नथी. अहीयां नदयनाव प्रा. श्रोत शरीरने अर्चनिक कह्यु. त्यारे ए साधिक डे के बाधिक डे ते वो. चारजो. वली नंदी अने अनुजोगद्वार सूत्र मध्ये जावथकी लोकोत्तर पक्षना अधिकारे कयु के, प्रजु केवा जे ? "तिलोक वहिय निरस्किय" प्रजुना सामुं सुर नर जुए में तेने आनंदरस प्रवाह आंसुं चाले ले. ए शरीर निरक्षणा नदयनाव वर्तना के; पण नक्तिनावना प्रेर्या जोस्ने.

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