Book Title: Siddhant Sar
Author(s): Gambhirmal Hemraj Mehta
Publisher: Gambhirmal Hemraj Mehta

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Page 507
________________ सिद्धान्तसार. ( ४८७ ) एकज कह्या. • हवे जुर्ज ! १० पापनुं वेरमण अने १२ उपयोग इत्यादिक केटलाक तो संवर, निर्जरा ने मोना नेद बे; अने १८ पाप, ८ कर्म, ५ शरीर, ४ गति छाने ३ जोग इत्यादिक शुभाशुभ पुद्गल जीवने लोलीजुतबे त्यां सुधी पुन्य, पाप, बंधनी प्रक्रतिर्ज बे. ते माटे या सर्व बोलने ने जीवने एकज को बे. ए न्याये पुन्य, पाप ने बंधने जीव कहीये. वारे तेरापंथ कड़े बे के " १० पाप कर्म अने ५ शरीर, ए तो जीवथी न्याराज बे; ने एने विषे वर्तवावालो जीव छाने जीवनी आत्मा तेने जगवंते एक कही बे. " तेनो उत्तर. हे देवानुप्रीय ! इहां तो १८ पापनुं वेरमण, १२ उपयोग अने ३ द्रष्टी इत्यादिकमां वर्तवावाला जीवने ने जीवात्माने अन्यतिर्थी न्यारा कहे बे, पण जगवंते एक का बे. दवे तमारी केहेणीने लेखे तो इहां पण त्रण बोल इशे. ए बोल न्यारा, ए बोलमां वर्तवावालो जीव न्यारो, श्रने जीवात्मा न्यारी एम मानतुं पकशे. तेवारे वली तेरापंथी कदे बे के “ १७ पापनुं वेरमण अने १२ - पयोग, ए तो जीवथी न्यारा नथी. ए बोल ने जीव तो एकज बे.” त्यारे हे देवानुप्रीय ! जगवंते तो ए६ बोलमां एक सरखो पाठ कह्यो बे. ए बोलमां वर्तवावालो तो जीव कह्यो, अने ए६ बोलने आत्मा कही ते एकज बे. दीयां तो ए६ बोल प्रने जीव ए बे बोल बे. तमे मतने लोधे ए ए६ बोल न्यारा, जीव न्यारो छाने जीवात्मा न्यारी, एम त्रण बोल केम करो बो? जो त्रण बोल करो तो कहो. प्रात्मा केने कड़ो ढो छाने वर्तवावालो जीव केने कहो बो? तमे शुं श्रात्मा ने जीवने जुदा जुदा मानो हो ? जो एम मानता हो तो ए तमारुं मानवुं सूत्र विरुद्ध बे. हवे अदीयां तो अन्य तिर्थी ए एकान्त निश्चे नयनो पक्ष लइने ए६ बोलने जीवने न्यारा ह्या. तेवारे जगवंते व्यवहार नयनो पक्ष लइने, एकान्त पक्ष निषेधवाने अर्थे ए६ बोल अने जीवने एक कह्या वली रायप्रशेली सूत्रने विषे प्रदेशीराजाए एकान्त व्यवहार नयनो पक्ष लइने, शरीर अने जीव एक बे, ए रीते परलोकनी नास्ति स्थापी जीव खने:

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