Book Title: Siddhant Sar
Author(s): Gambhirmal Hemraj Mehta
Publisher: Gambhirmal Hemraj Mehta

View full book text
Previous | Next

Page 512
________________ ( ४९२ ) सिद्धान्तसार. जे सुक्षमने जा० जाणीने सं० संजति द० दयानो पालणहार थाय जू० प्राणीने विषे बेशे चि० नजो रहे अथवा स० जयपायें सुवे. क० कया ० ते या सुकम ? जा० यदि पु० पुढे सं० संजति शिष्य गुरु समिपे, तेवारे गुरु शिष्य प्रत्ये कहे . इ० ए ता० ते श्राव सुक्षम मे० मर्यादावंत यति ते विचक्षण शिष्य प्रत्ये प्रा० कड़े. (स० उस प्रमुखनुं सुकम पाणी १, पु० सुक्ष्म फुल पा० अनुद्धरो कंथवादिक सुक्ष्म प्राणी की मी नगरा प्रमुख त० तेमज प० पांच वर्णी लीलफुल बी० वरु प्रमुखनां सुक्षम बीज इ० नवा नगता अंकुरा (सुक्ष्म ही ) ० माखी, की मी प्रमुखनां कां सु० ते आठमो सुक्षम. ए० एपी पेरे ए आठ सुक्षम जा० जाणीने स० सर्व प्रकारे आठ सुकमनी रक्षा करवाने जावे सं० यति श्र० निंद्रादिक प्रमाद रहित बतो ज० जयणाए करीने कार्यादिक करे नि० सदाय स० सर्व इंडिने विषे स० समाधिवंत रागद्वेष रहित यति.. भावार्थ:- दवे जु ! या पाठमां उस प्रमुखनुं पाणी १, फुल २, नाना कंथवा ३, कीमोनगरां प्रमुख ४, पंचवर्णी फुल ५, वक प्रमुखनां बीज ६, नवा नगता दीकायना अंकुरा 3, अने माखो की की प्रमुखनां मां, ए आठ वस्तुने सूत्रमां ठाम ठाम बादर को बे, ने दीयां व्यवहारमां कोमलपणा या वीतरागदेवे सुक्ष्म कही बे. तेम कारमण काया रुपी बे, पण व्यवहारमां नजरे न आवे ते श्राश्री तेने रुप कह देखाय बे. वली तेरापंथी कहे बे के " श्रीयां काय कही ते धर्मास्ति का यादिक पांच श्री जाणवी. तेमां केटलीक रुपी बे, केटलीक रुप बे, केटली जीवाने कटलीक अजीव बे ते खाश्री कह्युं छे.” तेनो उत्तर. हे देवानुप्रय ! यद्दीया तो कायाना सात नेद कला बेः नदारिक १, उदारिक मिश्र २, वैकर ३, वैकिय मिश्र ४, आहारीक ५, आहारीक मिश्र ६, ने कार्म प्र. ए सात नेद कायाना कह्या बे तेन । ज पुढा बे, कारण के आागला पाठमां चार मनना अने चार वचनना दनों पुछा

Loading...

Page Navigation
1 ... 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534