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निग्गंथस्य प्रदेपायंसि खाणुवा कंटएवा दिरएवा सकरेवा परियावजा तंच निग्गंथे नोसंचाएइ निदरित - एवा विसोदित्तएवा तंच निग्गंथी निदरमाणीवा विसोदेमाणीवा पाइकमs. निग्गंथस्स चिंसि पाऐवा बीएवा रएवा परियावोका तंच निग्गंथे नोसंचाएइ निहरितएवा विसोहित्तएवा तं निग्गंथी निदरमाणीवा विसोहीमा - एवा पाइकमइ. निग्गंथीए प्रदेपायंसि खाणुवा कंटएवा बाहिरेवा सकरेवा परियावजेजा तंच निग्गंथी नोसंचाएइ निहरितएवा विसोहित्तएवा तंच निग्गंथे निदरमावा विसोदेमाणेवा पाइकम्मइ. निग्गंथीए अहिंस पाणेवा बिएवा रएवा परियावजेजा तंच निग्गंथी नोसंचाएइ निदरितएवा विसोदित्तएवा तंच निग्गंथे निदरमाणेवा वीसोहेमाणेवा पाइकम्मइ. निग्गंथे निग्गंथी दुगंसिवा विसमंसिवा पवयंसिवा पखलमाांवा पवममाणंवा गिन्हमाणेवा अवलंबमाणेवा पाइक्कम्मइ. निग्गंथे निग्गंथी सेयंसिवा पंकंसिवा पणगंसिवा उदगंसिवा उकसमा - गांवा नवुऊमाणेवा गिन्हमाणेवा अवलंबमाणेवा पाइकम्मइ. निग्गंथे निग्गंथी नावं आरोहमाणंवा नरोढमाणंवा गिन्द्रमाणेवा अवलंबमाणेवा पाइकम्मइ. खित्तचित्त निग्गंथी निग्गंथे गिन्दमाणेवा अवलंबमाणेवा पाइकम्मइ ॥ अर्थः- पूर्ववत् जुर्ज प्रश्न बीजे पाने २२४ में.
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सिद्धान्तसार.
जावार्थ:- दवे जुन ! या पाठमां कथं के, साधुना पगमां खीलो, कांटो, प्रमुख नांग्यो होय तथा श्रांखमां प्राणी, बीज, रज प्रमुख पढयां होय अने पोते काढवा समर्थ न होय त्यारे साधवी काडे