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________________ (nt) + सिदान्तसार.. तो माज्ञा अतिक्रमे नही अने साधवीना पगमा खीलो कांटो,प्रमुख नांग्यो होय तथा आंखमां प्राणी, रज, बीज प्रमुख पमयुं होय ते पोते काढवा समर्थ न होय त्यारे साधु काढे तो श्राज्ञा अतिक्रमे नही. वलो वसमी जग्याथी तथा पर्वतादिकथी पमती साधवीने तथा जल काद आदिकमां लपसती, पमती तथा मुबती साधवीने तथा ( नावा) वाहाणे चढतां नतरतां पमती साधवने, साधु महतो थको प्राज्ञा अतिक्रमे नही. श्रागल वली कंदर्प चित्ते करी, लोनादिके करी अने जक्षाविषे करी जाती साधवीने साधु काली राखतो थको आज्ञा अतिक्रमे नही. जेम पग तथा अांखमां खीलो, कांटो, रज, बीज प्रमुख साध साधवी पोते काढवा समर्थ न होय त्यारे साधु साधवीने अने साधवी सा. धुने काढतां प्राज्ञा अतिक्रमे नही; पण जो साधु पासे साधु अनेसाधवी पासे साधवी काढनार होय तो मांदोमांहे कढावq कल्पे नही. तेमज पाहारादिक त्रण प्रकारनी वैयावचनी बाबतमां पण व्यवहार सूत्रना पांचमा नद्देशामां कडं ले के, साधु पासे साधु करवा वालो होय अने साधवी पासे साधवी करवा वाली होय तो साधुने साधवी पासे अने साधवीने साधु पासे वैयावच कराववी कटपे नही. ते बतां तमे सुखे समाधे आर्यानो लाव्यो थाहारादिक केम स्यो हो अने आर्याने केम आपो बो ? वली पुंज, पलेव, सीव, पात्रां प्रमुखनुं रंगवू अने धोवू माद दइ अनेक काम थार्या कने केम करावो बो ? थोमा जिवितव्यने कारणे प्रजुनां वचन नत्थापीने श्रार्याथी अलाप सलाप, संसतो परिचय अने आहारादिक लेवो देवो केम स्थापो बो? ___ वलो आर्या साथे विहार करे तो निषित सूत्रना पाठमा उद्देशामां चोमासी प्रायश्चित कडं बे. तेमज साध साधवीने एक दरवाजे दिशा मात्रे पण जq वज्यु ले तथा एक दरवाजे एक दिशे विहार करवो व. ज्यों ने बतां तमे सत्रनां वचन नथापीने श्रार्या साथे विहार केम करोबो? एवी ढीला उबा जीवीतव्यने कारणे अंगीकार केम करोडो ? चक्षी भार्याने साधुजी रहेता होय ते नपाश्रयमा ज्ञानादिकना प्रपोग
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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