Book Title: Siddhant Rahasya Part 01
Author(s): Devchandra Upadhyay
Publisher: Gangji Virji Shah

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Page 11
________________ सिद्धांत 4%A-4-9 थोकडासंग्रह भा०१ ॥३॥ -%25 COCOC4:5TOSECRECIRCT बे भेद सू० ने बा०, वली तेना के भेद पर्याप्त ने अप० सूक्ष्म पूर्ववत् हवे बावर अग्निना भेद कहे छे. १ चूला ने भट्ठीनी अग्नि, २ धूमाडी ने तापणीनी अग्नि, ३ चकमक ने बीजलीनी अग्नि, ४ दीवा ने उमाडानी अग्नि, ५ धगधगता लोढा ने अरणीनी अग्नि अने उल्कापातादि अनेक जातिनी अग्नि छे. तेना एक तणखामां असंख्यात जीव कह्या छे. तेमांधी एकेको जीव, जो खसखसना दाणा जेवडी काया करे तो आ जंबूद्वीपमा समाय नहि. तेनां कुल ऋण लाख क्रोड छे. सूक्ष्म तेउकायिकर्नु ज. आयुष्य अंतर्मुहर्तनं अने बा. तेउका. मुंज अंत० ने उ. त्रण अहोरात्रिनु छे. तेनी दया पालीएं तो अनंत मोक्षना सुख पामीएं. हवे वायुकायिक (वायुना जीव)ना बे भेद मू० ने बा०, सूक्ष्म ते पूर्ववत्. तेना वली बे भेद पर्याप्त ने अपर्याप्त. बा. वायुका. ना भेद कहे छे| पूर्वने पश्चिमनो वायु, २ उत्तरने दक्षिणनो वायु, ३ उंचो नीचो ने तिरछो वायु, ४ वटोलियो ने मंडलियो वायु, ५ गुंज वायु ने शुद्ध वायु अने घन वायु आदि अनेक जातिना वायु छे. हवे वायुना जीब जे निमित्तथी हणाय छे ते कहे छे-१ उघाडे मोढे बोलवाथी, अति झापट नाखवाथी, मृपडे सोजवाथी, झाटकवाथी, कांतवाथी वींझणे वींझवाथी, तालोटा वगाडवाथी, हींचोले हींचकवाथी, ए आदि अनेक शस्त्रथी हणाय छे. वायुनो एकेको जीव वडना बीज जेवडी काया करे तो आ जंबूद्वीपमा समाय नहिं, तेनां कुल सात लाख क्रोड छे अने अवगाहना अंगुलना असंख्यातमा भागनी छे. तेनुं आयुष्य सू० वायुकायिकनुं ज० ने उ० अंतर्मुहर्तन अने बा० वायुका नुं ज. अंत. अने उ० त्रण हजार वर्षनु छे. तेनी दया पालीएं तो अनंत मोक्षना सुख पामीएं. हवे वन -3-644

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