Book Title: Siddhant Rahasya Part 01 Author(s): Devchandra Upadhyay Publisher: Gangji Virji Shah View full book textPage 9
________________ सिद्धांतरहस्य ॥१॥ है थोकडासंग्रह भा०१ ॥१॥ CIRCI-ReseARAKe ॐ वीरः सिद्धान्तरहस्य भाग १ ( थोकडा संग्रह भाग १) ॐकाराबिंदुसंयुक्तं, नित्यं ध्यायन्ति योगिनः । कामदं मोक्षदं चैव, ॐकाराय नमोनमः १ मङ्गलं भगवान् वीरो, मंगलं गौतमः प्रभुः। मंगलं स्थूलिभद्राद्याः, जैनोधर्मोऽस्तु मंगलम् २ अज्ञानतिमिरान्धानाम् , ज्ञानाञ्जनशलाकया। नेत्रमुन्मीलितं येन, तस्मै श्रीगुरुवे नमः ३ अथ श्रीजीवविचार लिख्यते-प्रथम छ जीव-निकायना नाम कहे छे १ इंद्रस्थावरकाये,२ ब्रह्मस्थावरकाय,३ शिल्प स्थावरकाय, ४ सम्मतिस्थावरकाय, ५ प्राजापत्य स्थावरकाय अने ६ जंगमकाय. हवे छ जीवनिकायना गोत्र कहे छे १ पृथिवीकाय, २ अप्काय, ३ तेजस्काय, ४ वायुकाय, ५ वनस्पतिकाय अने ६ त्रसकाय.हवे | पृथिवीकायिक जीवना बे भेद, सूक्ष्म अने बादर. सूक्ष्म ते आपणी नजरे न आवे ज्ञानी जाणे देखे. बादर ते १ प्राकृत भाषामा छ कायना नाम आ प्रमाणे छे-इंद थावरकाय, बंभथा९, सिप्पथा०, सम्मइथा०, पायावच्चथा० ने अंगमकाय.Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 248