Book Title: Siddhant Rahasya Part 01
Author(s): Devchandra Upadhyay
Publisher: Gangji Virji Shah

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Page 10
________________ R थोकडासंग्रह भा०१ ॥२॥ AKA5%+5+ नजरे आवे वली सू० ने बा० पृथिवीकायना बे भेद, पर्याप्त अने अपर्याप्त. बादर पृथिवीना नाम कहे छे:-१ माटी सिद्धांत ने मीठानी जाति, २ खडी ने खारानी जाति, ३ कालमींढ ने मरडिया पाहाणानी जाति, ४ हींगलो ने हरतारहस्य हैलनी जाति, ५ गेरु ने गोपीचंदनी जाति, ६ रत्न-परवालानी जाति, ७ सोल जातिना रत्नो सुवर्णादि धातु, ॥२॥ ४ा अभ्रक सुरमो वगेरे तेंतालीस जातिनी पृथिवी छे. तेना एक ककडामां असंख्यात जीव श्रीभगवंते कह्या छे. | जुवार के पीलु जेटली पृ० काय लइएं तेमांथी एकेको जीव जो पारेवा जेवडी काया करे तो आ जंबूद्वीपमा समाय नहिं. तेनां कुल बार लाख क्रोड छे. तेनी अवगाहना अंगुलना असंख्यातमा भागनी छे तेनुं आयुष्यसू० पृथवीकायिकर्नु जघन्य अने उत्कृष्ट अंतर्मुहर्तन अने बा० पृ० कायिकर्नु ज. अंत. अने उ० बावीस हजा|रवर्षनुं छे. तेनी जो दया पालीएं तो अनंत मोक्षनां सुख पामीएं. हवे अप्कायिकना बे भेद-सू० ने बा० सूक्ष्म | पूर्ववत्. हवे बादर पाणीना भेद कहे छे-१ वर्षादने कराना पाणी, २ झाकरने धुमरना पाणी ३ कूवा ने तला| वना पाणी, ४ समुद्रने झरणाना पाणी, ५ खारां-खाटां पाणी, ६ मीठां-मोळां पाणी अने घनोदधि आदि अनेक जातिना पाणी छे. तेना एक बिंदुमां असंख्यात जीव कह्या छे. तेमांथी एकेको जीव जो सरसवना दाणा | जेवडी काया करे तो आ जंबदीपमां समाय नहि. तेनां कुल सात लाख क्रोड छे. तेनी अवगाहना, अंगुलना असंख्यातमा भागनी छे. तेनुं आयुष्य-सू० अप्कायर्नु ज० ने उ. अंतर्मुहूर्तनुं अने बा० अप्कायर्नु ज० अंत. ने उ० सात हजार वर्षनुं छे. तेनी दया पालीएं तो अनंत मोक्षना सुख पामीएं. हवे तेजस्कायिक (अग्निना जीवना CRACCES + + +

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