Book Title: Shrimadvirayanam
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 12
________________ भवश पाणि वध थायरी |अ०॥१॥तो क्यों करमें करपति धारी हिंसा धरम चला योरी॥अ०॥११॥ विपतकाल में वेश बदल, इन मांग मांग कर खायोरी॥ अ०॥ १२॥ पडी कुरीत कहो किम छूटे पक्षपात प्रगटा योरी। अ०॥१३॥ क्या अचरज की बात अलीये काल महातम छायोरी||अ०॥४॥ स्यान सुमति संवाद सुगुरु मुनि मगन पसायें गायोरी ॥ अ०॥ १५ ॥ इति ।। . ..॥ पुनः॥ देखो पंचम काल कलू की महिमा अजव निराली है।।टेर॥जो जो वातहोय या जुगमें वो कबहूँ न निहाली है।दे॥१॥ तीन खंड को नायक ताको रूप बनावें जा;

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