Book Title: Shrimadvirayanam
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 33
________________ । ३३ । पावै ॥ विधन भय दूर ही टल जावै ॥ सुजश कीरति दह दिश छावै ।। देवपति पग वदन आवै ।दोहा।। जो शुध मनवच कायसे ।। पाले शील रसाल ।। सो कान्हड कठियारे केसम पावै मँगलमाल हालताको कहु विस्तारी ॥ध०॥१॥ अजुध्या नगरी मंझारो ।। नृपति कीरति धर मुखकारो ॥ निधन पे मन मोहन गारो।वसेतिहां कान्हड कठियारो ॥दोहा।। भव जीवों के भाग्यते॥ साधुतने परिवार।। गामनगरपुर विचरत आया चउ नाणी अनगार धर्म उपदेश दियो भारी॥ध० ॥२॥ श्रवण सुनभविजन सुखपायो॥ भाग्य वश कान्हड तिहां आयो। सुगुरु दर्शन कर हरषायो।।

Loading...

Page Navigation
1 ... 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57