Book Title: Shrimadvirayanam
Author(s):
Publisher: ZZZ Unknown
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तारी ध०॥२१॥एम जानी बुध जन प्रानी।। तजोधन दाग दुखदानी ।।शील ब्रत पालो मन आनी वृथामत खोवोजिंदगानी।।दोहा।। कान्हड मुनि गुण गावतां ॥ सुख सम्पति सरसायः ।। सुगुरु मगन पद कज सुपसायें माधव मुनि गुण गाय कहै त्यागी की वलि हारी॥ध• ॥ २२॥ इति ॥ . ॥ अथ पद राग ठुमरी ॥
॥ परत्रिय पर संग सहै दुख जिन तिन का कहूँ नाम सुना करकें।।टेश।कुटम सहित दारुण दुखपायो।रावण सिया हरला करके।। लँक गमाय पँक परभा पहुंच्यो प्राण गमा कराप०॥१॥ पूरण ताप सह्यो पद मोतर

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