Book Title: Shrimadvirayanam Author(s): Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 1
________________ ॥ प्रस्तावना ॥ 10% प्रगट हो कि यह स्तवन तरंगिणी ग्रंथ का द्वितिय तरंग सतंपशमद मसँय्यमाद्यलङ्ककृत श्रीमज्जैनाचार्य पूज्यवर 'धर्मदास जी महाराज के संप्रदायानुयायी. विद्वद्वर्ण्य पूज्यवर श्री १००८ श्र मगनमुनि जी महा'राज तच्छिष्य श्रीमज्जन धर्मोपदेष्टा माधव मुनि जी भजनानन्दी सज्जनों के ज्ञान लाभार्थ अति परिश्रम रचा है इसके छापने में यदि प्रामादिक अशुद्धियाँ ' ही होय तिन्हें सुक्ष जन शुद्ध फर बांचेगे यह हमारी गाय पूर्वक प्रार्थना है किमधिकम् F " " इस पुस्तक को अविनय खुले मुख तथा दीपक सहायता से न बांचना चाहिये निवेदक-वलबन्तराय-प्रधान जैन सभा आगराPage Navigation
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