Book Title: Shrimadvirayanam
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 16
________________ . . MR.. . .. राखन दया धरमकी कार ।। त्यागे निज - कुटुम्ध परवार ॥ताको धन मानव अवतार जोमिथ्यामत दूर हटावै।।म ॥५॥श्रीयुतः सुगुरु मगन अनगार। वदो भवि नितवार हजार ॥ धरम दिपावन को इकरार करल्यो माधव छन्द सुनावैः ॥ प्र० ॥६।। इति ॥ ॥ अथ कब्बाली ।। ... ॥ सुनिये विनय कह । दीन मों खट काया के पीहरजी | भो खट कायाकै पीहर जी सत्तप शमदमके सायस्जी ।। देर राख न दया धर्म की देकः ॥ सब जुर मिल हो. जावो एक ॥ तज के आपस का व्यतिरेक निंदा कलह मान मद वरजी ।।सु० ॥१॥ स्व स्व संप्रदाय का गर्व ॥ तजके निर्णय .. . . . . " .

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