Book Title: Shrimadvirayanam
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 24
________________ सियाल ॥ नाग छाग सम्म होय विकराल व्याल पुष्पन की माल।।अति उतँग गिर उपल खडसम होयाबिकट वन नगर बिशाल अमृत सरिसो विषम बिष होय नृपति सम नर कँगालः ॥ कामदेव सम होयः कुरूपी. कल्प वृक्ष सम होय करील॥शि० ॥१॥ पिशुन पडे पगतले छलैनाः ।। भूत प्रेत व्यतर बैतालाादीठ मूठ ना लगे विन जतन कटें कोटिन जंजाल।। सूली को सिंहासन था बे वंधन भय भाजे तत्कालः ॥ बिन भेषः जहीं व्याधि बिरलाय थाय जय समर बिचालः ॥ फलै मनोरथ माल हाल ही करें हुकमकी सुर तामील ॥ शि० ॥२॥ अरि. - अरिष्ट होय नष्ट इष्ट सँजोग मिले छलिया

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