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.......... २८ .......... भवि पर हरिये।।तप धारी की सेव तनमनः से कर भव दधितरियै ।।माधव कहै मगन
मुनि पद कज़ पर सत होय पबित्र शरीरा। · ॥ तः ॥ ४ ॥ इति ॥..
॥ पुनः।।.. ..|दान शियल तपशम दम संयम नियम • आँखडी विरत भजन्न ॥ बिना भावना "वृथा सब जिम ऊषरमें मेध पतन्न ।। टेर॥ नीरागी नर आगे निष्फल जिम कटाक्ष मृगनेनी के ॥ बहिरे आगे वृथा. जिम गीत मधुर पिकवेनी कोजिनम अध पति के आगे श्रृंगार विफल सुख लेनी के ॥ .
वृथासूमकीसंपदा सुपन विफलविनरेनीक। - दया बिना सब किया अकारथ मनवश विन .