Book Title: Shatrunjay Bhakti Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Abhinav Shrut Prakashan View full book textPage 7
________________ (३) जंकिची-नमुत्थुणं-जावंति-खमासमण-जावंतनमोऽहंतकहीस्तवन तलेटी का स्तवन त्रिभुवन तारक तीर्थ तलाटी, चैत्यवंदन परिपाटिजी, मिथ्या मोह उलंघी घाटी, आपदा अलगी नाठीजी....त्रि....१ जिनवर गणधर मुनिवर नरवर, सुरनर कोडा कोडिजी इहां उमा गिरिवर ने वांदे, पूजे होडा होडिजी....त्रि....२ गुणठाणानी श्रेणी जेहवो, उंचो पंथ इहांथीजी, चढ़ते भावे भवि आराधो, पुन्य विना मिले किहांधीजी....त्रि...३ मेरु सरसव तुज मुज अंतर, उंचो जोइ निहालुजी, तोपण चरण समीपे बेठो, मननो अंतर टालुजी....त्रि....४ सेवन कारण पहेली भूमि, अमल अद्वेष अखेदजी धर्मरत्न पद ते नर साधे, भूगर्भ रहस्यनो भेदजी....त्रि....५ जयवीयराय-अरिहंत चेइयाणं-अन्नत्थ-नवकारका-काउ. तलेटी की थोय श्री विमलाचल गिरिवर कहीए, मोक्षतणो अधिकारजी, इणगिरि हुति भविजन निश्चे, पाम्या केवल सारजी, कांकरे कांकरे साधु अनंता, सिद्धा इणगिरि आयाजी कर्म खपावीने केवल पाम्या, थई अजरामर कायाजी....? बाद में खमासमण देना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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