Book Title: Shatrunjay Bhakti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 8
________________ ( ४ ) - - श्री शांतिनाथजो सामने बोलने की स्तुति श्रीमते शांतिनाथाय. नमः शांति विधायिने, त्रैलोक्यस्याऽमराधीश: मुकुटाभ्यचितांधये.... १ शांतिः शांति कर: श्रीमान्,शांति दिशतु मे गुरू: शांतिरेव सदा तेषां, येषां शांति-गृहे गृहे.... २. सुधा सोदर वाग्ज्योत्सना, निर्मलीकृत दिमखः मगलक्ष्म्या तमःशान्त्य,शांतिनाथ जिनोस्तुवः....३ श्री शांतिनाथजी का चैत्यवंदन शांति जिनेश्वर सोलमा, अचिरासुत वंदो, विश्वसेन कुल नभमणि, भविजन सुख कंदो....१ मृगलंछन जिन आउखु, लाख वरस प्रमाण, हत्थिणाउर नयरी घणी, प्रभुजी गुणमणि खाण.... २ चालीस धनुषनी देहडी ए, समचउरस संठाण, वंदन पद्म ज्यु चंदलो, दिठे परम कल्याण.... ३ जंकिचि-नमुत्थुणं-जावंति-खमासमण-जावंत-नमोऽहत् श्री शांतिनाथजी का स्तवन मारो मुजरो ल्योने राज, साहिब, शांति सलुणा-आंकड़ी अचिराजीना नंदन तोरे, दरिसण हेते आव्यो समकित रीझकरोने स्वामो भक्ति भेटणुं लाव्यो...मारो...१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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