Book Title: Shatrunjay Bhakti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 29
________________ ( २५ ) फल प्रदक्षिणा काउस्सग्गा रे लाल, लोगस्स थुई नमुक्कार नरनारी रे.... एक.... ४ दश वीश त्रीस चालीश भला रे लाल, पचास पुष्पनी माल अति सारी रे, नरभव लाहो लोजीये रे लाल, जेम होय ज्ञान विशाल मनोहारी रे.... एक.... ५ पुंडरीक स्वामी का स्तवन मेरे तो जोन तेरो ही चरण आधार..... पुंडरिक गणधर पुंडरिक पद धर पुंडरीक पद करनार.... मेरे..... १..... पुंडरीक गिरि पर पुंडरिक राजीत पुंडरीक प्रभुनो विहार.... मेरे..... २.... पुंडरीक कमलासन प्रभु राजीत पुंडरिक कमलनो हार....मेरे.... ३.... पुंडरीक गाउं पुंडरीक ध्याउं पुंडरिक पुंडरीक हृदय मोझार....मेरे.... ४.... स्वरूपी पुंडरीक कांति जयकार....मेरे.... ५..... आतमराम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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