Book Title: Shatrunjay Bhakti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 30
________________ (२६) रायण पगला का स्तवन नोलुडी रायण तरू तले सुण सुन्दरी, पोलुडा प्रभुना पाय रे गुण मंजरी उज्वल ध्याने ध्याइये, सुण सुन्दरो, एही ज मुकित उपाय रे गुण मंजरो.... १.... शीतल छायड़े बेसीने, सुण सुन्दरी, रातडो करी मन रंग रे गुण मंजरी पूजीए सोवन फुलडे, सुण सुन्दरी, जेम होय पावन अंग रे गुण मंजरी.... २.... खीर झरे जे उपरे, सुण सुन्दरी, नेह धरी ने एह रे गुण मंजरी प्रोजे भवे ते शिव लहे, सुण सुन्दरी, थाये निमल देह रे गुण मंजरी.... ३.... प्रीती धरी प्रदक्षिणा, सुण सुन्दरी, - दीये एहने जे सार रे गुण मंजरी अभंग प्रीति होय जेहने, सुण सुन्दरी, भवभव तुम आधार रे गण मंजरी.... ४.... कुसुम पत्र फल मंजरी सुण सुन्दरी, ___शाखा थड़ ने मुल रे गुण मंजरी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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