Book Title: Shatrunjay Bhakti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Abhinav Shrut Prakashan

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Page 42
________________ ( ३८) दोठे दुर्गति वारणो, समर्यो सारे काज; ते तीर्थेश्वर प्रणमिये, सवि तीरथ शिरताज .... ४६ पुंडरिक पंच कोडीशु, पाम्या केवलनाण, ते तोर्थेश्वर प्रणमिये, कर्मतणी होय हाण .... ४७ मुनिवर कोडी दस सहित,द्राविड ने वारिखेण, ते तोर्थेश्वर प्रणमिये, चढ़िये शिव निश्रेण .... ४८ नमि विनमि विद्याधरा,दोय कोडि मुनि साथ, ते तीर्थेश्वर प्रणमिये, पाम्या शिवपुर आथ .... ४९ ऋषभवंशीय नरपति घणां, इण गिरि पहोता मोक्ष ते तीर्थेश्वर प्रणमिये, टाल्या पातिक दोष .... ५० राम भरत बिहु बांधवा, त्रण कोडि मुनि युत्त, ते तीर्थेश्वर प्रणमिये, इणे गिरि शिव संपत .... ५१ नारद मुनिवर निर्मला, साधु एकाणू लाख, ते तीर्थेश्वर प्रणमिये, प्रवचन प्रगट ए भाख .... ५२ शांब प्रद्युम्न ऋषि कहया, साडि आठ कोडि; ते तीर्थेश्वर प्रणमिये, पूरब कर्म विछोडी .... ५३ थावच्चासुत सहस शु, अनशन रंगे कीध, ते तीर्थेश्वर प्रणमिये, वेगे शिवपद लीध .... ५४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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