Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 10
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 280
________________ एयस्स परिच्चाया सुद्धंछाइ वि सुंदरं भणियं / कम्माइ वि परिसुद्धं गुरुआणावत्तिणो बिति . // 128 // ता धन्नो गुरुआणं न मुयइ नाणाइगुणगणनियाणं / सुपसन्नमणो सययं कयन्नुयं भणसि भावितो // 129 // गुणवं च इमो सुत्ते जहत्थगुरुसब्भायणं इ8ो / गुणसंपयादरिदो जहुत्तफलदायगो न मओ // 130 // मूलगुणसंपउत्तो न दोसलवजोगओ इमो हेओ / महुरोवक्कमओ पुण पवत्तियव्वो जहुत्तम्मि // 131 // पत्तो सुसीससद्दो एवं कुणंतेण पंथगेणा वि / गाढप्पमाइणो वि हु सेलगसूरिस्स सीसेणं // 132 // एवं गुरुबहुमाणो कयन्नुया सयलगच्छगुणवुड्ढी / अणवत्थापरिहारो हुंति गुणा एवमाईया . // 133 // इहरा वुत्तगुणाणं विवज्जओ तह य अत्तउक्करिसो / अप्पच्चओ जणाणं बोहिविघायाइणो दोसा // 134 // बकुसकुसीला तित्थं दोसलवा तेसु नियमसंभविणो / जइ तेहिं वज्जणिज्जो अवज्जणिज्जो तओ नत्थि // 135 // इय भावियपरमत्था मज्झत्थां नियगुरुं न मुंचंति / सव्वगुणसंपओगं अप्पाणम्मि वि अपेच्छंता . // 136 // एयं अवमन्नतो वुत्तो सुत्तम्मि पावसमणो त्ति / . महमोहबंधगो वि य खिसंतो अपडितप्पंतो // 137 // सविसेसं पि जयंतो तेसिमवन्नं विवज्जए सम्मं / तो सणसोहीओ सुद्धं चरणं लहइ साहू // 138 // इय सत्तलक्खणधरो होइ चरित्ती तओ य नियमेण / . कल्लाणपरंपरलाभजोगओ लहइ सिवसोक्खं // 139 // . 271

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