Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 10
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ * विजिणसयघणरागद्देसमोहमिच्छत्तमलकलंकेणं / अइउल्लसंतनिम्मलअज्झवसाएण अणुसमयं . // 24 // * तिहुयणगुरुजिणपडिमाविणिवेसियनयणमाणसेण तहा। जिणचंदवंदणाओ धन्नोऽम्हि मनमाणेणं .. // 25 // * नियसिरि रइयकरकमलमउलिणा जंतुविरहिओगासे निस्संकं सुत्तत्थं पए पए भावयंतेणं . // 26 // * जिणनाहदिट्ठगंभीरसमयकुसलेण सुहचरित्तेणं / अपमायाईबहुविहगुणेण गुरुणा तहा सद्धि // 27 // चउविहसंघजुएणं विसेसओ निययबंधुसहिएणं / . इय विहिणा निउणेणं जिणबिंबं वंदणिज्जंति // 28 // तयणंतरं गुणड्डे साहू वंदेज्ज परमभत्तीए / साहम्मियाण कुज्जा जहारिह तह पणामाई // 29 // जाव य महग्घमुक्किट्ठचोक्खवत्थप्पयाणपुव्वेण / पडिवत्तिविहाणेणं कायव्वो गरुयसम्माणो // 30 // एयावसरे गुरुणा सुविइयगंभीरसमयसारेण / / अक्खेवणिविक्खेवणिसंवेयणिपंमुहविहिणा उ // 31 // भवनिव्वेयपहाणा सद्धासंवेगसाहणे पउणा / / गरुएण पबंधेणं धम्मकहा होइ कायव्वा // 32 // * सद्धासंवेगपरं सूरी नाऊण तं तओ भव्वं / चिइवंदणाइकरणे इय वयणं भणइ निउणमई // 33 // * भो ! भो ! देवाणुपिया ! संपावेयय निययजम्मसाफल्लं / / तुमए अज्जप्पभिई तिक्कालं जावजीवाए // 34 // * वंदेयव्वाई वेइयाई एगग्गसुथिरचित्तेणं / .. खणभंगुराओ मणुयत्तणाओ इणमेव सारं तु . // 35 // 2
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