Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 10
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 336
________________ // 24 // // 25 // // 26 // // 27 // // 28 // // 29 // तत्तो संगीएणं, मंगलधवलेहि दिज्जमाणेहि / भट्टनगारियमग्गण-जणाण दाणं पयच्छंतो चउविहसंघसमन्निय-गुरूहि सहिओ जिणालए गंतुं / करि वि जिणपूयमहिमं, कारेई सावगो नंदि * सद्धासंवेगपरं, सूरी नाऊण तं तओ भव्वं / चियवंदणाइकरणे, इय वयणं भणइ विउलमई * भो भो देवाणुप्पिय, संपाविय निययजम्मसाफल्लं / तुमए अज्जप्पभिई, तिकालं जावजीवाए * वंदेयव्वाइं चेई-चाई एगम्गमुइयचित्तेणं / खणभंगुरम्मि मणुय-त्तणम्मि इणमेव जं सारं * तत्थ तुमे पुव्वण्हे, पाणं पि न ताव होइ पेयव्वं / नो जाव चेइयाई, साहू वि य वंदिया विहिणा * मज्झण्हे पुणरवि वंदिऊण नियमेण कप्पए भुत्तुं / अवरण्हे वि तह च्चिय, सयणं पि न जुज्जए काउं * एवमभिग्गहबंध, काउं तो वड्डमाणविज्जाए / अभिमंतिऊण गिण्हइ, सत्त गूरू गंधमुट्ठीओ * तस्सुत्तमंगदेसे, नित्थारगपारगो हविज्जति / उच्चारेमाणु च्चिय, निक्खिवइ गुरू सुपणिहाणो * एयाए विज्जाए, पभावजोएण एस किर भव्यो / अहिगयकज्जाण लहू, नित्थारगपारगो होउ . * तत्तो जिणपडिमाए, पूजादेसाउसुरभिगंधड्ढे / अमिलाणं सियदामं, गिण्हिय गुरुणा सहत्थेणं * तस्सोभयखंधेसुं, आरोवंतेण सुद्धचित्तेणं / निस्संदेहं गुरुणा, वत्तव्वं एरिसं वयणं // 30 // // 31 // // 32 // // 33 // // 34 // // 35 // . 327

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