Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 10
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ * भो भो सुलद्धनियजम्म-निचियअइगुरुयपुत्रपब्भारो / नारयतिरियगईओ, तुज्झ अवस्सं निरुद्धाओ . // 36 // * नो बंधगो सि सुंदर, तुममित्तो अयसनीयगोयाणं / नो दुलहो तुह जम्म-तरे वि एसो नमुक्कारो .. // 37 // * पंचनमुक्कारपभा-वओ य जम्मंतरे वि होहिंति / . जाईकुलरूवारु-ग्गसंपया तुह पहाणाओ // 38 // * अन्नं च इमाओ चिय, न हुति मणुया कया वि जियलोए / दासा पेसा दुब्भगा, नीया विगलिंदिया चेव * कि बहुणा जे गोयम, विहिणा एवं सुयं अहिज्जित्ता / सुयभणियविहाणेणं, सुद्धे सीले अभिरमंति // 40 // * ते नो जइ तेणं चिय, भवेण निव्वाणमुत्तमं पत्ता / तोऽणुत्तरगेविज्जा - इएसु सुइरं अभिरमेउं // 41 // * उत्तमकुलम्मि उत्तम - सव्वंगोवंगसालिणो जीवा / सयलकलापत्तट्ठा, जणमणआणंदणा होउ // 42 // * देविंदोवमरिद्धी, दयावरा दाणविणयसंपन्ना / निविण्णकामभोगा, चरित्तधम्मं अणुढेउं // 43 // * सुहझाणानलनिद्दड्ड - घाइकमिंधणा महासत्ता / उप्पन्नविमलनाणा, विगयमला झत्ति सिझंति // 44 // एसो उवहाणविही, महानिसीहम्मि अस्थि वित्थरओ। भणिओ समासओ पुण समवायंगे वि एस तवो // 45 // 28
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