Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 10
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ वज्जे वणकम्ममहं छेयणछेयावणे य रुक्खाणं / निव्वाहववच्छेए जयणा फलमाइविक्किणणे . // 36 // अहिगरणाणं सगडाइयाण विक्कयकएं विवज्जेमि / ... / दंतनहसंखमुत्ताहलाई न किणेमि आगरओ // 37 // सक्कुरुडलोहलक्खामणसिलगुलियाइ गोयरे वज्जे / वाणिज्जे लहणिज्जे जयणा लद्धाण विक्किणणे / // 38 // रसवाणिज्जे मज्जाइविक्कयं तह चएमि वरिसंतो / चउण्हं चउप्पयाणं मोत्तूणं केसवाणिज्ज // 39 // वज्जे अइसावज्जं विसवाणिज्जं च दुबिहतिविहेणं / जंताण पीलणं गोरुयाण निल्लंछणीकरणं // 40 // तह दवदाणं भवदुहनिहाणमुझेमि दुविहतिविहेणं / / सोसं जलासयाणं पोसं असईण वज्जेमि एत्तो अणत्थदंडे नियमा पुण घायवइरिमरणाई / पहरद्धाओ परओ अणुबंधाओ न चिंतेमि // 42 // मज्जं विसया य कसाय पमाय निद्दा कहा तह विरुद्धा। इय पंचहा पमाओ पुरा वि मज्जं मए चत्तं // 43 // अव्वाहम्मि सरीरे सुयामि रयणी मुहुत्त मज्झण्हे / विकहाकसायविसए चएमि जिणमंडवस्संतो निद्दक्खिन्नम्मि चए सत्थग्गिहलाइयाण दाणं च / वज्जे पावुवएसं थूलं गोणाइदमणाई // 45 // एयाइं पंच अणुव्वयाई तिन्नि य गुणव्वयाई च। . अणवज्जकज्जनिरया जावज्जीवं पवज्जामि // 46 // सयले परिग्गहम्मि दिसिपरिमाणम्मि भोगउवंभोगे / तहऽणत्थदंडविसए नियमा एगविहतिविहेणं // 47 // 332 // 44 // // 47 //
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