Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 10
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 2 // // 3 // // 4 // पू.आ.श्रीवादिदेवसूरिविरचितम् // द्वादशव्रतस्वरूपम् // तिहुयणकयबहुमाणे- सन्नाणे विमलगुणगणनिहाणे / नमिउं जिणे गिहिवए सम्मत्तजुए पवज्जामि परिहीणलोहमोहो मुक्कविरोहो पसन्नमुहसोहो / देवो सुरकयसेवो गयलेवो मम जिणो चेव उद्धयमहव्वयभरे सीलंगधरे निरुद्धमयपसरे / जगसिरमणिणो मुणिणो गुणिणो गुरुणो पवज्जामि पयडियवत्थुसरूवो निरुवमरूवो सुरेहिं कयपूओ / नयहेउजुत्तिसुद्धो सिद्धंतो संपइ पमाणं परतित्थे धम्मत्थं काहं नाहं कया वि ण्हाणाइ / चीवंदणं तिकालं काहमहं सुमरणेणावि पाणिवह 1 मुसावाए 2 अदत्त 3 मेहुण 4 परिग्गहे चेव 5 / दिसि 6 भोग७ दंड 8 समइय 9 देसे 10 तह पोसह 11 विभागे // 6 // मंसाइकए जीवे थूले संकप्पिडे निरखरहे / न हणेमि नो हणावेमि मणेण वायाइ कारणं // 7 // जं पुण जलोयमोयणकिमिगंडोलाइपाडणं तह य / कज्जं हविज्ज जइ कह वि तत्थ मज्झं भवे जयणा // 8 // थूलमलीयं कन्नालियाइ सयलं पि दुविहतिविहेणं / नो आलवेमि वसणे जयणा पुण कूडसक्खेज्जे थूलमदत्तं एत्तो चत्तं खत्ताइकारणं जमिह / करणकरावणविसयं सम्मं तिविहेण करणेण // 10 // लहणिज्जदेज्जनिहिसयणसुंकविसयम्मि दिन्नए जयणा / निस्सावराडिवयणे अलियम्मि तहा ममं जयणा // 11 // .320
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