Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 10
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 333
________________ * किं बहुणा जे इमिणा विहिणा एवं सुयं अहिंज्जित्ता / सुयभणियविहाणेणं सुद्धे सीले अभिरमेज्जा . // 48 // * नो ते जइ तेणं चिय भवेण निव्वाणमुत्तमं पत्ता / ... तोऽणुत्तरगेवेज्जाइएसु सुइरं अभिरमेउं // 49 // * उत्तमकुलम्मि उक्किट्ठलट्ठसव्वंगसुंदरा पयडा / सव्वकलापत्तट्ठा जणमणआणंदणां होउं // 50 // * देविंदोवमरिद्धी दयावर दाणविणयसंपन्ना / निविनकामभोगा धम्मं सयलं अणुढेउं . * सुहझाणानलनिड्डयाइकमिंधणा महासत्ता / उप्पन्नविमलनाणा विहुयमला झत्ति सिझंति // 52 // इय विमलफलं मुणिउं जिणस्स महमाणदेवसूरिस्स / वयणा उवहाणमिणं साहेह महानिसीहाओ // 53 // [* एतच्चिह्नाङ्किता गाथा अनन्तरेऽपि वर्तन्ते] 24

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