Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 10
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 332
________________ // 40 // * तत्थ तुमे पुव्वण्हे पाणं पि न चेव ताव पायव्वं / नो जाव चेइयाई साहु वि य वंदिया विहिणा // 36 // * मज्झण्हे पुणरवि वंदिऊण नियमेण कप्पए भोत्तुं / अवरण्हे पुणरवि वंदिऊण नियमेण सुयणंति // 37 // * एवमभिग्गहबंध काउं तो वद्धमाणविज्जाए / अभिमंतिऊण गेण्हइ सत्त गुरू गंधमुट्ठीओ // 38 // * तस्सुत्तमंगदेसे नित्थारगपारगो भवेज्ज तुमं / उच्चारेमाणो च्चिय निक्खिवइ गुरू सपणिहाणं // 39 // * एयाए विज्जाए पभावजोएण एस किर भव्वो। अहिगयकज्जाण लहुं नित्थारगपारगो होउ अह चउविहो वि संघो नित्थारगपारगो भवेज्ज तुमं / धन्नो सलक्खणो जंपिरो त्ति निक्खिवइ से गंधे / // 41 // * तत्तो जिणपडिमाए पूयादेसाउ सुरभिगंधड्ढे / . अमिलाणं सियदामं गिण्हय गुरुणा सहत्थेणं. * तस्सोभयखंधेसुं आरोवंतेण सुद्धचित्तेणं / .. निस्संदेहं गुरुणा वत्तव्वं एरिसं वयणं // 43 // * भो ! भो ! सुलद्धनियजम्मनिचियअइगरुयपुनपब्भार ! नारयतिरियगईओ तुज्झ अवस्सं निरुद्धाओं // 44 // * नो बंधगोऽसि सुंदर ! तुममेत्तो अयसनीयगोत्ताणं / 'नो दुलहो तुह जम्मंतरे वि एसो नमोकारो . // 45 // * पंचनमोक्कारपभावओ य जम्मंतरे वि किर तुज्झ / जाईकुलरूवारोग्गसंपयाओ पहाणाओ // 46 // * अन्नं च इमाउ च्चिय न हुंति मणुया कयाइ जियलोए / दासा पेसा दुभगा नीया विगलिंदिया चेव // 47 // 323 // 42 //

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