Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 10
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ भयवं ! पभूयकालो एव करितस्स पाणिणो होज्जा / तो कह वि होज्ज मरणं नवकारविवज्जियस्सावि // 12 // नवकारवज्जिओ सो निव्वाणमणुत्तरं कह लभेज्जा ? तो पढमं चिय गेण्हउ उवहाणं होउ वा मा वा // 13 // गोयम ! जं समयं चिय सुओवयारं करेज्ज जो पाणी। तं समयं चिय जाणसु गहियतयटुं जिणाणाए // 14 // एवं कयउवहाणो भवंतरे सुलहबोहिओ होज्जा / / एयज्झावसाणो वि हु गोयम ! आराहओ भणिओ // 15 // जो उ अकाऊणमिमं गोयम ! गिव्हिज्ज भत्तिमंतो वि। सो मणुओ दट्ठव्वो अगिण्हमाणेण सारिच्छो // 16 // पढम चिय कनाहेडडएण जं पंचमंगलमहीयं / तस्स वि उवहाणपरस्स सुलहिया बोहि निद्दिट्ठा // 17 // इय उवहाणपहाणं निउणं सव्वं पि वंदणविहाणं / जिणपूयापुव्वं चिय पढेज्ज सुयभणियनीईए // 18 // तं सरवंजणमत्ताबिंदुपयच्छेयठाणपरिसुद्धं / .. पढिऊणं चिइवंदणसुत्तं अत्थं वियाणेज्जा तत्थ य जत्थेव सिया संदेहो सुत्तअत्थविसयम्मि / तं बहुसो वि विमंसिय सयलं निस्संकियं कुज्जा // 20 // अह. सोहणतिहिकरणे मुहत्तनक्खत्तजोगलग्गम्मि / अणुंकूलम्मि ससिबले सस्से सस्से य समयम्मि // 21 // निययविहवाणुरूवं संपाडिय भुवणनाहपूयेण / परमभत्तीएँ विहिणा पडिलाहियसाहुवग्गेण // 22 // * भत्तिभरनिब्भरेणं हरिसवसुल्लसियबहलपुलएणं / सद्धासंवेगविवेग-परमभावेण जुत्तेणं // 23 ૩ર૧ // 19 // =
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