Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 10
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 12 // // 13 // // 14 // // 15 // // 16 // वंदिय सामाइयए ठायह उट्ठित्तु भणइ नवकारं / अह सामाइयदंडगमुच्चरइ करेमिइच्चाई वंदिय कट्ठासणयं संदिस्सावेमि वंदिउं भणइ / कट्ठासणए ठाएह पुण वंदिय संदिसावेमि सज्झायं वंदित्ता सज्झायं करह तो नमोक्कारं / तिन्नि उ वारा पभणिय तो पंचाईहिं गाहाहि सज्झायं पकरित्ता वंदिय समणाइ चउविहं संघं / सज्झायाइ पकरइ समुचियसमए गुरुसयासे वंदिय पोत्तिं पेहइ वंदणयं दाउ निच्चकिच्चाणि / पकरइ आलोयण खामणाणि जईभणियविहिणा उ तत्तो गुरुं नमित्ता उववासाई जहासमाहीए / पच्चक्खइ गुरुवयणं अणुभासितो'सणिय सणियं तो वंदिऊण साहूपभिईसंघं नमित्तु गुरुपाए / पढइ गुणेइ सुणेई धम्मकहं वा परिकहेइ पउणपहरम्मि पडिलेहणाएँ वंदित्तु पोत्तियं पेहे / अह जइ तंगणियाए वच्चइ तो इरियमाउत्तो गंतुं भुवं पमज्जिय उच्चाराईणि करिय नियठाणे / ठिच्चा इरियं कमई गमणागमणं च आलोए तो चेईहरे गंतुं जिणेऽभिवंदित्तु उचियठाणम्मि / जहजोगं वक्खाणं सुणेइ तो भोयणावसरे वंदिय पोत्ति पेहइ तो वंदिय भणइ भत्तपाणेणं / . . पारावेमो वंदिय पारावह भत्तपाणेणं नवकारं उच्चरई अह उववासी तओ उ पाणस्स / पारावइ तो वंदिय विहिणा आवस्सियं भणइ 312 // 18 // // 19 // // 20 // // 21 // . // 22 // // 23 //
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