Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 10
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ संथारभुवं संथारउत्तरावट्टयं च पेहेइ / . तो पोत्तियाएँ देहं पमज्जई भणिय निस्सीही // 60 // संथारगम्मि निविसइ नवकारं सरिय जह समाहीए / अणुजाणउ मज्झ गुरु इच्चाई भणइ गाहाओ // 61 // अणुजाणह मज्झ गुरू बाहुवहाणेण वामपासेणं / कुक्कुडिपायपसारण अतरंतु पमज्जए भूमि // 62 // अणुजाणह मज्झ गुरू जहासमाहीएँ ठामि संथारे / नवकाराई सुमरिय पसंतचित्तो सुविस्सामि // 63 // तो पभणिय नवकारं सामाइयदंडगं समुच्चरइ / . . चत्तारिमंगलं तह जइ मे छउमत्थ गाहाओ // 64 // खाममि सव्वजीवे इच्चाई गाहजुयलयं पढइ / जइ मे हुज्ज पमाओ इच्चाई पढइ गाहजुगं // 65 // नवकारभावियमणो सुहनिदाए सुएइ निच्चिंतो / सुत्तविउद्धो धम्मज्जागरियं झायए हियए // 66 // सुत्तविउद्धो चित्तं सुहुमपयत्थेसु नसइ जहसत्तिं / जाए पभायसमए नवकारं भणिय उढेइ // 67 // पकरिय सरीरचितं सम्मं इरियं पडिक्कमेऊणं / कुसुमिणदुसुमिणनिग्घायणत्थसुसुमिणत्थेज्जत्थं // 68 // राइयअइयारस्स य विसोहणत्थं च कुणइ उस्सग्गं / चउउज्जोयपमाणं सक्कथयं भणिय सज्झायं // 69 // पुव्वमिव संदिसावइ सज्झायं करिय उचियवेलाए / . राइपडिकमणेट्ठाइभत्थगा उ हुंति इमा // 70 // सामाइयस्स करणं इरियावहियाइ पुव्वगं नेयं / / उस्सग्गो कुस्सुमिणे सज्झाओ होइ कायव्वो // 71 // 316
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