Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 10
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 316
________________ आह कह जुन्नसेट्ठीदिटुंतो अत्थऽदिन्नदाणो वि? | दिन्नं चिय भावेणं सो च्चिय जं उत्तमो एत्थ - // 282 / / तस्सेरिसपरिणामो जेण -तया केवलं पि पावितो / जिणपारणवुत्तंतं जइ न सुणेतो खणं एक // 283 // एत्तो च्चिय नवसेट्ठी जिणस्स वीरस्स लोगनाहस्स / जाइच्छियदाणेणं न भायणं सग्गमोक्खाणं // 284 // अह पडिया तस्स गिहे वसुहारा तेण भावहीणं पि / दाणं तस्स वि सहलं (आचा०) किं इमिणा एगभविएणं? 285 / / बल एव महामुणिणो तवस्सिणो संखधवलदेहस्सा / वड्डइणा पाहेयं दिनं परमाए भत्तीए // 286 // संवेगपुलइएणं अणमिसंबाहुल्ललोयणजुएणं / जाइस्सरहरिणेणंऽणुमोइयं तं च भावेणं. - // 287 // ते तिन्नि वि सुरलोए पवरविमाणे महिड्डिया देवा / एगावसेसगब्भा उववन्ना दिव्वबोंदिधरा . // 288 // अवरविदेहे गामस्स चिन्तओ रायदारुवणगमणं / साहू भिक्खनिमित्तं सत्था हीणे तहिं पासे // 289 // दाणन्नपंथनयणं अणुकंप गुरूण कहण सम्मत्तं / सोहम्मे उववन्नो पलिआउसुरो महिड्डीओ // 290 // लखूण य सम्मत्तं अणुकंपाए उ सो सुविहियाणं / भासुरखरबोंदिधरो देवो वेमाणिओ जाओ // 291 // चइऊण देवलोगा इह चेव य भारहम्मि वासम्मि / इक्खागुकुले जाओ उसुभसुयसुओ मरीइ त्ति // 292 // तत्तो कमेण लद्धं केसवचकितणाई सो जाओ। तिहुयणजणियाणंदो चरमजिणो वद्धमाणो त्ति // 293 // 300

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