Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 10
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ जो पव्वइउं इच्छइ सामाइयमाइसुत्तपाढी य / सो चरणुज्जय गुरुणो तिन्नि समा तदुवरि भयणा // 270 // परलिंगिनिण्हए व सम्मइंसणजढे उ उवसंते / तद्दिवसमेव इच्छा सम्मत्तजुए समा तिन्नि // 271 // मुक्कवओ पुण दुविहो सारूवी होइ तह गिहत्थो य / / तत्थ य रयहरणवज्जिय जइवेसधरो उ सारूवी // 272 // मुंडसिरो सियवत्था सभज्जऽभज्जो व मुक्ककच्छो य / / पत्तेहि भमइ भिक्खं अबंभयारी य सारूवी // 273 // सो जाजीवं गुरुणो तेण य मुंडीकयाणि वि तहेव। . तेणेव बोहियाणं अमुंडियाणं पुणो इच्छा // 274 // अणवच्चे सेसविही पुव्वायरियस्स तस्सऽवच्चाइ / आभव्वाइं नियमा मुंडिय इयराइं नऽनस्स // 275 // जो पुण गिहत्थमुंडो अहव अमुंडो उ तिण्ह वरिसाण / / आरेणं पव्वावे. सयं च पुव्वायरिय सव्वे // 276 // भरहस्स पुव्वजम्मो आहरणं होइ साहुणो दाणे / गिहिणो धणसत्थवइदिटुंतो जुन्नसेट्ठी वा // 277 // हरिण वणछेइणो वा अहवा गामस्स चिंतगो पुरिसो। . कयउन्नसालिभद्दा दाणफले अहव दिटुंता // 278 // भरहेणं पुव्वभवे वेयावच्चं कयं सुविहियाणं / तो तस्स पभावेणं जाओ भरहाहिवो राया // 279 / लखूण केवलसिरिं लक्खं पुव्वाण संजमं काउं। . नीसेसकम्ममुक्को भरहरिसी सिवपयं पत्तो // 280 / दाणेण मुणिवराणं धणो वि कल्लाणभायणं होउं / तेलुक्कनमियचलणो जुगाइदेवो जिणो जाओ / // 281 // 305
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