Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 10
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 313
________________ जे वनाइनिमित्तं एत्तो आलंबणेण वन्नेण / भुंजंति तेसिं बंधो नेओ तप्पच्चओ तिव्वो . // 247 // भणिओ पारणगविही पच्चक्खाणस्स पुव्वमुणिसिट्ठो / एत्तो य समासेणं वोच्छं सयपालणादारं / // 248 // आह जह जीवघाए पच्चक्खाए न कारए अन्नं / भंगभयाऽसणदाणे धुवकारवणं ति नणु दोसो // 249 // नो कयपच्चक्खाणो आयरियाईण देज्ज असणाई / न य विरइपालणाओ वेयावच्चं पाणंयरं // 250 // दाणमोरब्भिएणा वि, चंडालेण वि दीयइ / जेण वा तेण वा सीलं, न सक्कमभिरक्खिउं // 251 // नो तिविहंतिविहेणं पच्चक्खाणन्नदाणकारवणं / ' सुद्धस्स तओ मुणिणो न होइ तब्भंगहेउ त्ति // 252 // सयमेवऽणुपालणियं दाणुवएसा य णेह पडिसिद्धा / / ता दिज्ज उवदिसेज्ज व जहासमाहीए अन्नेसिं // 253 // कयपच्चक्खाणो वि य आयरियगिलाणबालवुड्डाणं / देज्जासणाइ संते लाहे कयवीरियायारो // 254 // संविग्गअन्नसंभोइयाण दंसेज्ज सड्ढगकुलाणि / अतरंतो वा संभोइयाण जह वा समाहीए - // 255 // एवमिह सावगाणं दाणुवएसाइ संगयं चेव / पाणासणाइविसयं अविसेसेणं जइ जणम्मि // 256 // संभोइयाइभेओ नत्थि गिहत्थाण तेण जो सत्तो। . अविसेसेण पयच्छइ असमत्थो देइ उवएसं // 257 // एवं वत्थाईणि वि दाणे गिहिणो विही इमों चेव / तुच्छो पणमिय गुरुणो तप्परिवारस्स वा देइ . // 258 // 304

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