Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 10
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
View full book text
________________ एत्थ य पच्चक्खाणे आगारा अट्ठ अहव नव हुँति / विगइविसेसोवेक्खा तेसि विभागो इमो नेओ - // 202 // नवणीओगाहिमए अद्दवदहिपिसियघयगुलेसुं च / नव आगारा नेया उक्खित्तविवेगसंभवओ // 203 // खीरमहुमज्जतेल्ले दवेसु घयपिसियदहिगुलेसुं च / अट्ठेव य आगारा उक्लित्तविवेगऽभावाओ // 204 // अन्नयरविगइनियमो निम्विययं भण्णए तओ कुणइ / अद्दवविगइविवज्जी उक्खित्तविवेगमागारं // 205 // इयरो न तमुच्चारइ वयणप्पामनओ भणंतेगे। ....... अन्ने भणंति एवं वियारमेत्तं मुणेयव्वं // 206 // तो सव्वविगइचाई असव्वचाई य उच्चरइ एयं / जह भगवइजोगो जई गिहत्थसंसट्ठपंभिईयं // 207 // सूत्रं चेदम्-निव्विगइयं पच्चक्खाइ अन्नस्थऽणाभोगेण सहसागारेणं लेवालेवेणं गिहत्थसंसट्टेणं उक्खित्तविवेगेण पडुच्चमक्खिएणं पारिट्ठावणियागारेणं महत्तरागारेग सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसि // वक्खायं चिय एवं नवरि विसेसो गिहत्थसंसट्टे / गिहिणा नियकज्जेणं संसट्ठो ओयणो पयसो // 208 // तं जइ तमइक्कमिउं उक्कोसेणंगुलाणि चत्तारि / उवरिं वट्टइ तइया न तयं दुद्धं, भवे विगई // 209 // पंचमगे पारद्धे नियमा विगई अणेण नाएण / / दहिवियडमाइयाउ वि भणियमिणं जेण सुत्तम्मि // 210 // खीरदहीवियडाणं चत्तारि उ अंगुलाइ संसटुं / / फाणियतेल्लघयाणं अंगुलमेगं तु संसटुं // 211 // 300
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/bcf7d0ec2b85597565d1179c9257835971f7b0ccf2d08477bfc3b78c8c13b645.jpg)
Page Navigation
1 ... 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354