Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 07
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 27 // // 28 // निट्ठीवणखिवणाई सव्वं वाऽऽसायणं न य करेमि / सजिणजिणमंउवंतो कारणसुयण च मुक्कलयं नामायरियाणमयंतराणि सुत्तुत्तजुत्तिवंझाणि / सोऊण कुसत्थाणि य मन्नामि य दुक्खजणगाणि सव्वन्नूण मयं मएण रहिओ सम्मं सया साहए, भव्वाणं पुरओ पवाहविरओ निच्छम्मनिम्मच्छरो। . सो मे धम्मगुरू सया गुणिगुरू कल्लाणकारी वरो, लग्गो जो जिणदत्तसोहणपहे निसेससुक्खावहे // 29 // // 2 // // 3 // पू.आ.श्रीजिनदत्तसूरिविरचितम् // व्यवहारकुलकम् // पणमिय वीरं पणयंगिवग्गसग्गापवग्गसुक्खकरं / सिरिपासधम्मसामि तित्थयरं सव्वदोसहरं साहूण साहुणीणं तह सावयसावियाण गुणहेउं / संखेवेणं तं देमि सुद्धसद्धम्मववहारं उस्सग्गेणाववायओ वि सिद्धंतसुत्तनिद्दिटुं। गीयत्थाईणं वा धम्मत्थमणत्थसत्थहरं जेसिं गुरुम्मि भत्ती बहुमाणो गउरवं भयं लज्जा / नेहो वि अस्थि तेसिं गुरुकुलवासो जणे सहलो अवनवाइणो सीसा, माणिणो छिद्दपेसिणो / सबुद्धिकयमाहप्पा, गुरुणो रिउणु व्व ते नाणदंसणसंजुत्तो, खित्तकालाणुसारओ / चारित्ते वट्टमाणो जो, सुद्धसद्धम्मदेसओ पासत्थाइभयं जस्स, माणसे नत्थि सव्वहा / .. सव्वविज्जाइतत्तन्नू, खमाइगुणसंजुओ 170 // 4 // // 6 // // 7 //
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